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पर्यावरण की विषयवस्तु बताइये।

पर्यावरण की विषयवस्तु

विद्यालयों में पर्यावरण संबंधी निर्धारित विषय वस्तु की पहचान करना वास्तव में बहुत मुश्किल कार्य है। प्रथम तो इसमें विषयवस्तु की विभिन्नता है और फिर अनेक प्रकार की प्रक्रियाओं, विविधियों एवं अभिवृत्तियों के फलस्वरूप बहुत सी जटिलताओं का भी सामना करना पड़ता है। जो शिक्षाविद् प्रायोगिक रूप से शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत है, वे भी आवश्यकताओं के अनुरूप पर्यावरण को एक अलग विषय के रूप में या विभिन्न विषयों के एकीकृत रूप में अध्ययन करवा रहे है या नहीं। इस बात के मूल्यांकन की भी आवश्यकता है। जीव वैज्ञानिकों की इस बात के मूल्यांकन की भी आवश्यकता है। जीव वैज्ञानिकों की इस बात से सहमति है कि यह विषय अध्ययन-अध्यापन में सम्मिलित कर लिया जाये। रसायन विज्ञान में वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् भी इसका अध्ययन करवाने के पक्ष में है। भूगोल, नागरिक शास्त्र, इतिहास एवं मानवीय विषयों के साथ इसका अध्ययन करने वाले की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ से “क्या आशय है?

स्थानीय वातावरण में विद्यमान प्राकृतिक साधन, जीव जंतुओं एवं पारिस्थितिकी का अध्ययन कैसे किया जा सकता है? प्रत्येक बालक को पर्यावरण शिक्षा लेने के लिए कहा जा सकता। है, क्योंकि उनका क्रमिक विकास इसमें हुआ है. इसी से वह सीखता है इसी में वह संलग्न है और इसी पर निर्भर है दोनों का कुछ न कुछ परोक्ष या अपरोक्ष संबंध अवश्य है। कुला मिलाकर पर्यावरण का उस पर प्रभाव अवश्य होता है, अतएव प्रतिष्ठित शिक्षाशास्त्रियों को चाहिए कि वे इस विषय को उचित महत्व प्रदान करें।

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