परिवार की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।

परिवार की अवधारणा – परिवार शब्द ऑग्ल भाषा के “फैमिली” शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। “फॅमिली’ शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के “फैम्लम’ शब्द से हुई जिसका अभिप्राय है “नौकर’ परन्तु जिस अर्थ में परिवार शब्द की उत्पत्ति हुई है उस अर्थ में परिवार का अर्थ नहीं लगाया जाता है। वास्तव में “फैम्लस” शब्द का विस्तृत अर्थ लगाया जाता है। इसके अन्तर्गत माता-पिता, चाचा-चाची, पुत्र-पुत्री, भतीजे-भतीजी, बहू-नतबहू आदि सम्मिलित रहते हैं और जो पारस्परिक उत्तरदायित्व तथा स्नेह की भावना से बंधे हुए है। इसके विपरीत पश्चिमी विद्वान परिवार को बहुत ही लघु रूप में परिभाषित करते हैं। उनके अनुसार परिवार समाज की ऐसी इकाई है जिसमें माता-पिता तथा उनके अविवाहित बच्चे सम्मिलित हैं और जो उत्तरदायित्व तथा स्नेह की भावना से बंधे हुए हैं। इस प्रकार “भौतिक दृष्टि से भारतवर्ष में परिवार को “संयुक्त परिवार’ तथा पाश्चात्य देशों में “वैयक्तिक परिवार’ के रूप में परिभाषित करते हैं। इस प्रकार हम उपरोक्त शब्दों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि परिवार समाज की एक ऐसी इकाई है जिसमें माता-पिता तथा उनके अविवाहित बच्चे अथवा इनके साथ-साथ अन्य सदस्य सम्मिलित रहते है और जो उत्तरदायित्व तथा स्नेह की भावना से परस्पर बंधे रहते हैं।

समाजीकरण के प्रमुख उद्देश्य कौन-कौन से हैं?

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