परसंस्कृतिकरण क्या है? इसकी विशेषतायें लिखिए।

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परसंस्कृतिकरणः

परसंस्कृतिकरण एक सार्वभौम और “सतत प्रक्रिया है, जो काल की गति के अनुरूप घटित होती रहती है। सततता और परिवर्तन के साथ-साथ एकता और विस्तार से भी संस्कृति जानी-पहचानी जाती है। परसंस्कृतिकरण की स्थिति में, परम्परागत संस्कृति और आधुनिक संस्कृति के बीच का संघर्ष कोई गम्भीर समस्याएँ पैदा नहीं करता।

परसंस्कृतिकरण की विशेषताएँ:

  1. परसंस्कृतिकरण एक सचेतन अथवा अचेतन प्रक्रिया हो सकती है। इसका आशय यह है कि दूसरे समूहों की सांस्कृतिक विशेषताओं या गुणों को ग्रहण करने वाले लोगों के यह अनुभव, कि वे दूसरी संस्कृति के तत्वों को अपना रहे हैं, हो भी सकता है या बिना यह जाने समझे कि वे अन्य संस्कृति के तत्वों को अपना रहे हैं, वे उन तत्त्वों को ग्रहण कर सकते हैं।
  2. परसंस्कृतिकरण तब घटित होता है, जब विभिन्न संस्कृतियों वाले दो या दो से अधिक समुदाय एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और परस्पर एक दूसरे के सांस्कृतिक तत्त्वों को अपनाना प्रारंभ कर देते हैं। अतः यह सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया दुतरफा होती है। इससे प्रभावित दोनों ही समूहों में कुछ परिवर्तन होते हैं।
  3. परसंस्कृतिकरण एका-एक नहीं हो जाता। समुदायों के द्वारा सांस्कृतिक तत्वों के परस्पर आदान से पहले बहुत समय लगता है। परंतु परसंस्कृतिकरण में लगने वाला समय, निश्चित रूप से आत्मसातकरण में लगने वाले समय से कम होता है। अतः आत्मसातकरण की तुलना में परसंस्कृतिकरण में अपेक्षाकृत कम समय लगता है।

पर्यावरण शिक्षा का क्षेत्र

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