परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन
रोयवर के अनुसार- ‘अनेक विद्वानों द्वारा उपबोधकों की विभिन्न विशेषताएं बतायी गई है। रोयबर ने, विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा बताई गई विशेषताओं को समन्वित कर उन्हें निम्नलिखित सात वर्गों में विभाजित किया है
(1) पारस्परिक सम्बन्ध
परामर्शदाता में अच्छे पारस्परिक सम्बन्धों को विकसित करने हेतु निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है दूसरों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना, अपनी विचारधारा की अपेक्षा दूसरों के दृष्टिकोण के प्रति सहिष्णुता रखना, व्यक्तियों के अपने पर ध्यान रखना, व्यक्तियों को समझना एवं स्वीकार करना, सामाजिक संवेदनशील ईमानदारी, निष्ठा, व्यक्तियों से मिलने जुलने की योग्यता व्यक्तियों में रूचि रखना, धैर्य, पारस्परिक सम्बन्धों में सौहार्द इत्यादि । पारस्परिक सम्बन्ध निकट के होने चाहिए।
( 2 ) नेतृत्व
दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करने तथा नेतृत्व करने की योग्यता अन्य व्यक्तियों की सहायता करना तथा सहयोग देना।।
(3) जीवन-दर्शन
स्वास्थ्य जीवन दर्शन नागरिकता का भाव समावेश तथा मान्य मूल्य व्यवस्था, उत्तम आचरण, रुचियाँ एवं सौन्दर्य बोध तथा मानव प्रकृति में आस्था होनी चाहिए।
जाति तथा वर्ग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
( 4 ) स्वास्थ्य द्वारा बाह्य व्यक्तित्व
स्वास्थ्य मृदुभाषी, बाह्य आकर्षक रूपरेखा, स्वच्छता, इसके अलावा, उपबोध का ऐसा व्यवहार नहीं हो जिसका अन्य व्यक्ति हँसी उड़ायें।
(5) शैक्षिक पृष्ठभूमि तथा शैक्षिक योग्यता
उच्च परिष्कृत सामाजिक अभिरूचियाँ, बुद्धि, कार्यक्षमता, अभिक्षमताओं के प्रति झुकाव, तथ्यों का आदर, सामाजिक संस्कृति, व्यावहारिक निर्णय, सामान्य बुद्धि गुण का उपबोधक में होना आवश्यक है।