परामर्श में रूचि का महत्व बताइये ।

परामर्श की प्रक्रिया- (Process of Counselling)

परामर्श में रूचि का महत्व – परामर्श अथवा उपयोधन की प्रक्रिया एक विशिष्ट प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया को सम्पन्न करने से पूर्व इसकी प्रक्रिया के प्रमुख अंगों का ज्ञान प्राप्त करना नितान्त आवश्यक है। कोई भी प्रक्रिया किसी न किसी दिशा में एक अथवा अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही सम्पन्न की जाती है। अतः लक्ष्य अथवा उद्देश्य किसी प्रक्रिया का प्रमुख बिन्दु माना जाता है। इस लक्ष्य को अपने समक्ष रखकर ही प्रयासकर्ता विशिष्ट कार्यों का सम्पादन करता है। परामर्श का प्रमुख लक्ष्य विद्यार्थी अथवा अन्य किसी विकसित होने पर वह स्वयं ही अपनी समस्या का समाधान करने योग्य बन जाता है इस प्रकार लक्ष्य किसी प्रक्रिया की व्यवहारिक क्रियान्विति का प्राथमिक आधार है। इसके अतिरिक्त जिसके लिये प्रयास किया जा रहा है तथा जिसके द्वारा प्रयास किया जा रहा है अर्थात् परामर्शदाता एवं परामर्शप्रार्थी भी परामर्श की प्रक्रिया के प्रमुख आधार बिन्दु होते हैं। इसलिये यह कहा जाता है कि परामर्श एक विध्रुवीय प्रक्रिया है।

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परामर्श में रूचि का महत्व

परामर्श प्रक्रिया का होना ही रूचि के द्वारा ही होता है। बिना रूचि के परामर्श की प्रक्रिया सम्पन्न ही नहीं हो सकती है। इसलिए परामर्श और रुचि को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। ये एक दूसरे के अभिन्न अंग है।

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