प्रस्तावना- पंचायती राज का शाब्दिक अर्थ है-पंचायत द्वारा शासन करना। आजादी से पूर्व तथा आजादी के पश्चात् भी हमारे देश में गाँवों की दशा दयनीय ही रही है और यह बहुत दुर्भाग्य का विषय है कि जिस देश की 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गाँवों में बसती है, उन्हीं गाँवों के विकास की ओर इतना ध्यान नहीं दिया जा रहा, जितना शहरो तथा नगरों के उत्थान की ओर दिया जा रहा है।
ग्राम पंचायतों की स्थापना एवं कार्य
हमारे गाँवों की दुर्दशा को देखते हुए स्वतन्त्रताप्राप्ति के पश्चात् से ही हमारी सरकार ग्रामीणों की दशा को सुधारने के भरपूर प्रयत्न कर रही है। सन् 1952 ई. में ‘फोर्ड फाउण्डेशन’ की मदद से ‘कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम’ एवं सन् 1953 ई. में ‘नेशनल एक्सटेंशन सर्विस’ के माध्यम से गाँवों के उत्थान एवं विकास परियोजनाओं को कार्यान्वित करने पर विचार किया गया था। तत्पश्चात् सन् 1957 में ‘मेहता समिति’ ने भी ‘जनतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण‘ के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार से सिफारिश भी की थी इस रिपोर्ट में इस बात पर विशेष दल दिया गया था कि स्थानीय निकायों सहित केन्द्र में शक्तियों एवं अधिकारों के उचित विभाजन द्वारा ही आधुनिक जनतन्त्र की स्थानीय समस्याओं का समाधान हो सकता है। परन्तु इस रिपोर्ट को कार्यान्वित करने का जो उत्साह प्रारम्भ में दिखा था, वह धीरे-धीरे समाप्त हो गया।
इसके बाद सन् 1977 में पंचायती राज से सम्बन्धित ‘पंचायती राज समिति‘ को सरकार ने गठित किया। सन् 1978 में इस समिति द्वारा केन्द्र सरकार को यह सुझाव दिया गया कि प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण कार्यपरक होना आवश्यक है। इसके लिए द्विस्तरीय व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया। इस समिति ने ग्राम समिति को महत्त्व देते हुए मंडल पंचायत की प्रमुखता पर बल दिया तथा कई ग्राम समूहों के योग से मंडल पंचायतों के निर्माण पर भी बल दिया। ये मंडल पंचायत ग्राम समिति के माध्यम से सक्रिय रहेंगे। अतः ग्रामीणों के जीवन में सुधार तथा सर्वांगीण उन्नति लाने के लिए भारत सरकार ने ग्राम् पंचायतों अथवा ‘पंचायती राज’ की स्थापना की। पंचायती राज के तीन मुख्य आधार ‘ग्राम-पंचायत’, ‘क्षेत्र समिति‘ एवं ‘जिला परिषद‘ थे। ये तीनों संस्थाएँ ग्राम विकास की दिशा में ‘मील का पत्थर’ साबित हुई एवं गाँवों की सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। इन संस्थाओं ने योजना के विकास में निर्णायक की भूमिका निभाई। स्थानीय विकास कार्यक्रमों की योजना एवं क्रियान्वयन का कार्य किया, जिसके अन्तर्गत कृषि, ग्रामीण स्वास्थ्य, लघु सिंचाई, सड़कें, पशुपालन, समाज कल्याण, सहकारिता, कुटीर उद्योग, पेयजल, शिक्षा आदि की व्यवस्था करना मुख्य कार्य है।
प्रदूषण की समस्या पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
आज भूमिहीन किसानों को कृषि कार्य हेतु भूमि दी गई है। सरकार गाँवों में प्राथमिक पाठशालाएँ एवं चिकित्सा केन्द्र खोल रही है। सरकार हर प्रकार से गाँवों की उन्नति करना चाहती है क्योंकि हम सब यह जानते हैं कि गाँवों की उन्नति के बिना भारतवर्ष की उन्नति असम्भव है। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भी गाँवों की उन्नति का महत्त्व बताते हुए कहा था, “हमारा देश भारतवर्ष वास्तव में गाँवों में ही बसता है, गाँव ही हमारी संस्कृति के केन्द्र है, जब तक भारत के पाँच लाख गाँव उन्नत तथा समृद्धिशाली नहीं होंगे, तब तक भारतवर्ष से अज्ञानता, अशिक्षा, ऊँच-नीच, निर्धनता, भेदभाव, जात-पात नष्ट नहीं होंगे और तब तक हमारे देश में पूर्ण स्वतन्त्रता का आनन्द नहीं प्राप्त किया जा सकता है।”
उपसंहार – ग्राम पंचायतों द्वारा ही जन जागृति तथा सुधार कार्य किए जा सकते हैं। पंचायती राज द्वारा ही भारतवर्ष में लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हो सकती है तथा ग्रामीणों की दशा में सुधार आ सकता है।