पंचायती राज व्यवस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

पंचायती राज व्यवस्था ही लोकतन्त्र का जीवन व प्राण है। जब शासन व्यवस्था का संचालन पंचायतों के माध्यम से किया जाता है, तो उसे ‘पंचायती राज व्यवस्था’ के नाम से जाना जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पहले भी ग्राम स्तर पर पंचायतों के माध्यम से स्वशासन की व्यवस्था थी। राष्ट्रीय आन्दोलन के समय महात्मा गांधी ने ग्राम स्तर तक पंचायती राज व्यवस्था को अपनाने पर बल दिया था। गांधी जी का विचार था कि जब तक ग्रामीण जीवन को लोकतान्त्रिक नहीं बनाया जाता, तब तक भारत में वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो सकती।

ग्राम पंचायत के कार्य तथा शक्तियों

ग्राम पंचायत, पंचायती राज व्यवस्था की सबसे टी लेकिन आधारभूत इकाई है। यह ग्राम सरकार की कार्यपालिका के रूप में कार्य करती है। ग्राम पंचायत के कार्यों तथा शक्तियों की विवेचना निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत की जा सकती है-

1. सार्वजनिक कार्य

ग्राम पंचायत द्वारा सम्पादित होने वाले सार्वजनिक कार्य है-

  1. गाँव की सफाई की व्यवस्था करना;
  2. रोशनी का प्रबन्ध करना;
  3. संक्रामक रोगों की रोकथाम करना;
  4. गाँव एवं गाँव की इमारतों की रक्षा करना;
  5. जन्म-मरण का लेखा-जोखा रखना;
  6. बालक एवं बालिकाओं की शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना;
  7. खेलकूद की व्यवस्था करना;
  8. (8) कृषि की उन्नति हेतु प्रयत्न करना;
  9. श्मशान भूमि की व्यवस्था करना;
  10. सार्वजनिक चरागाहों की व्यवस्था करना;
  11. अग्निकाण्ड होने पर आग बुझाने का प्रबन्ध करना;
  12. जनगणना और पशुगणना करना;
  13. प्राथमिक चिकित्सा का प्रबन्ध करना;
  14. खाद एकत्र करने के लिए स्थान सुनिश्चित करना;
  15. जल-संसाधनों की सुरक्षा का प्रबन्ध करना;
  16. प्रसूति गृह खोलना
  17. समय-समय पर कानून द्वारा यथानिर्देशित अन्य कार्य करना;
  18. आदर्श नागरिकता की भावना को प्रोत्साहन देना, तथा
  19. ग्रामीण जनता को शासन व्यवस्था से परिचित कराना आदि कार्य आते हैं।

रुसो निरंकुशतावादी विचारक था? विवेचना कीजिए।

2. व्यवसाय सम्बन्धी कार्य

इन कार्यों के अन्तर्गत-

  1. अस्पताल खुलवाना;
  2. पुस्तकालयों एवं वाचनालयों की व्यवस्था करना;
  3. पार्क बनवाना
  4. कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयत्न करना;
  5. पशुओं की नस्ल सुधारना;
  6. स्वयंसेवक दल का संगठन करना;
  7. सहकारी समितियों का गठन करना;
  8. सहकारी ऋण प्राप्त करने में किसानों की सहायता करना;
  9. अकाल या अन्य आपदा के समय गाँव वालों की सहायता करना;
  10. सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाना आदि कार्य सम्मिलित होते हैं।

3. न्याय सम्बन्धी कार्य

इन कार्यों के अन्तर्गत ग्राम पंचायत के कुछ सदस्य न्याय पंचायत के रूप में कार्य करते हुए गाँव के छोटे-छोटे झगड़ों का निपटारा भी करते हैं। दीवानी के मामलों में यह 500 रुपये के मूल्य तक की सम्पत्ति के मामलों की सुनवाई कर सकते हैं तथा फौजदारी के मुकदमों में इसे 250 रुपये का जुर्माना करने का अधिकार प्राप्त है। केन्द्र सरकार के समक्ष ग्राम स्तर पर न्यायालयों के गठन का प्रस्ताव विचाराधीन है। यह पंचायती राज व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में जिला स्तरीय प्रशासन में एक क्रान्तिकारी निर्णय होगा।

भारतीय संविधान में किए गये 73वें संशोधन द्वारा ग्राम पंचायत को व्यापक अधिकार एवं शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। साथ ही ग्राम पंचायत के कार्य क्षेत्र को व्यापक बनाया गया है। इसके कार्य-क्षेत्र के अन्तर्गत 29 नियमों से युक्त एक विस्तृत सूची को रखा गया है। पंचायतों के इन 29 उत्तरदायित्वों को भारत के संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में रखा गया है।

    Leave a Comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Scroll to Top