पंचायती राज व्यवस्था – भारत गाँवों का देश है। गायों की उन्नति और प्रगति पर ही भारत की उन्नति और प्रगति – निर्भर करती है। भारत के संविधान निर्माता भी इस तथ्य से भाली-भाँति परिचित थे, अतः हमारे संविधान में यह निर्देश दिया गया है कि राज्य ग्राम पंचायतों के निर्माण के लिए कदम उठाएगा और उन्हें इतनी शक्ति एवं अधिकार प्रदान करेगा जिससे कि वे (ग्राम पंचायतें) स्वशासन की इकाई के रूप में कार्य कर सकें।
जीन बोदों का जीवन परिचय लिखिए।
वस्तुतः हमारा जनतंत्र इस बुनियादी धारणा पर आधारित है कि शासन के प्रत्येक स्तर पर जनता अधिक से अधिक शासन कार्यों में हाथ बँटाए और अपने पर राज करने की जिम्मेदारी स्वयं झेले। भारत में जनतंत्र का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रामीणजनों का शासन से कितना अधिक प्रत्यक्ष और सजीव सम्पर्क स्थापित हो पाता है? दूसरे शब्दों में ग्रामीण भारत के लिए पंचायत राज ही एकमात्र उपयुक्त योजना है। पंचायतें ही हमारे राष्ट्रीय जीवन की रोड़ है।