पांचवें गणतंत्र में राष्ट्रपति का निर्वाचन।

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राष्ट्रपति का निर्वाचन – पंचम गणतंत्र में राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मण्डल की व्यवस्था की गयी है। संविधान की धारा 6 में उल्लिखित है कि “राष्ट्रपति का निर्वाचन वर्षों के लिए होगा। निर्वाचन के लिए एक निर्वाचक मण्डल की रचना की जायेगी जिससे सदस्य में लोकतंत्र की संसद, साधारण परिषदों के निर्वाचित प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।” राष्ट्रपति के चुनाव हेतु निर्वाचन मण्डल में निम्नलिखित सदस्य होंगे-

  1. सदस्य के दोनों सदनों- राष्ट्रीय सभा और सीनेट के कुल सदस्य ।
  2. समस्त मण्डलों की परिषदों के सदस्य।
  3. समुद्रपारीय अधिकृत प्रदेशों की सीमाओं के सदस्य।
  4. नगरपालिका परिषदों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ।

क्षेत्र पंचायत (पंचायत समिति) के संगठन, कार्यों एवं शक्तियों का उल्लेख कीजिए।

राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग वाला सबसे बड़ा समूह स्थानीय नगरपालिका परिष द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों का होता है।

संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाले प्रत्याशी के लिए प्रथम मतदान में ही पूर्ण बहुमत प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन अगर ऐसा न हो सके तो संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के चुनाव में “द्वितीय मतपत्र व्यवस्था” का सहारा लिया जाता है, जिसमें तुलनात्मक बहुमत में उसे निर्वाचित किया जाता है। संविधान में यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति की अवधि पूरी होने से कम से कम 20 दिन अथवा अधिक से अधिक 35 दिनों के पूर्व हो जाना चाहिए।

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