पालों के राजनैतिक इतिहास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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पालों के राजनैतिक इतिहास

पालों के राजनैतिक इतिहास – पूर्व मध्यकालीन इतिहास में बंगाल का बहुत महत्व रहा है। यह प्रान्त पहले मगध साम्राज्य में था। शशांक के समय बंगाल की शक्ति काफी बढ़ गयी। हर्ष और भास्करवर्मन ने बंगाल पर आक्रमण कर उसे आपस में बांट लिया। आठवीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध में बंगाल में सर्वत्र अशान्ति और अराजकता की अवस्था में बंगाल के लोगों ने गोपाल नाम के व्यक्ति को बंगाल के सिंहासन पर बिठाया जिससे कि वह अराजकता का समापन कर बंगाल में शान्ति की स्थापना कर सके। गोपाल ने बंगाल में पाल वंश की सत्ता स्थापित की। उसने बंगाल में शान्ति स्थापित करने का भी प्रयास किया। गोपाल ने मगध पर विजय प्राप्त की तथा 45 वर्षों तक बंगाल में हिमालय से लेकर समुद्र तट तक सम्पूर्ण राज्य को सुसंगठित किया।

गोपाल के बाद धर्मपाल बंगाल का शासक बना। इसके बाद क्रमशः देवपाल, नारायणपाल, महीपाल प्रथम, नयपाल, विग्रहपाल तृतीय शासक बने। इनके काल में पालवंश ने साम्राज्य विस्तार के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में भी पर्याप्त उपलब्धि हासिल की। इसके बाद पाल वंश का पतन होता गया। अयोग्य उत्तराधिकारियों के कारण मोहम्मद गोरी के एक सेनानायक बख्तियार खिलजी ने बंगाल पर अधिकार कर लिया और बंगाल में मुसलमानों का अधिकार हो गया।

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