निदानात्मक उपचार प्रक्रिया
निदानात्मक उपचार प्रक्रिया क्रो तथा क्रो ने निदानात्मक विधि की प्रणाली तथा प्रक्रिया में छः क्रियाओं को महत्वपूर्ण माना है, उनका उल्लेख निम्नलिखित है
- समायोजन सम्बन्धी गहन कठिनाइयों की उपस्थिति की पहिचान करना। इसके लिए यह आवश्यक है कि छात्र की उपस्थित समस्या के स्वरूप को समुचित प्रकार से समझ लिया जाये।
- छात्र के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी तथा आधार सामग्री एकत्रित कर उन्हें व्यक्तिगत इतिहास के रूप में लिखना। जिससे एक स्थान पर ही देखने से छात्र की समस्या तथा उसकी पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में जानकारी हो जाये।
- आधार सामग्री की व्याख्या एवं उसका मूल्यांकन, प्रशिक्षित लक्षणों के सन्दर्भ में करना। इसमें यह प्रयास किया जाता है कि छात्र में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने वाली कठिनाइयों तथा इनके सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने वाली सामप्रियों का भी पूरा विवरण प्राप्त किया जाये।
- उपयुक्त उपचार के अन्तर्गत छात्र की कठिनाइयों अथवा समस्याओं का समाधान करने की दृष्टि से बताये गये समाधान तथा उसकी पद्धतियों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की जाती है।
- चिकित्सा लागू करना- इसमें छात्र की परिस्थिति एवं आवश्यकतानुकूल उपचार आरम्भ कर दिया जाता है। पंचम सोपान को, इस विधि का केन्द्रीय सोपान माना जाता है।
- छात्र को चिकित्सा के उपरान्त अनुसरण इस सोपान का उद्देश्य है-छात्र के समायोजन पर पडें प्रभावों का आकलन तथा उनके प्रारूप को ज्ञात करना है।
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