निबंधात्मक परीक्षा प्रणाली के दोष बताइये।

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निबंधात्मक परीक्षा प्रणाली के दोष

वर्तमान परीक्षा प्रणाली (निबंधात्मक) के प्रमुख दोष निम्नवत है

  1. यदि एक ही कापी को दो परीक्षक दो बार देखे तो समान अंक नहीं प्रदान किये। जाते है। लिखिए।
  2. यदि एक छात्र को उसी विषय में पुनः परीक्षा देने हो तो उसके परीक्षाफल में अंतर फेल से प्रथम श्रेणी के मध्य कुछ भी हो सकता है।
  3. इस परीक्षा में केवल 9 या 10 प्रश्न पूछे जाते हैं, जो पूरे पाठ्यक्रम का सही ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं करते। छात्र को उनमें से कोई 5 या 6 प्रश्न हल करने होते है। वह इसके लिए पाठ्यक्रम से महत्वपूर्ण प्रश्न पड़कर भाग्य के सहारे ही उन छात्रों से अधिक अंक पा सकता है जिन्होंने पूरा पाठ्यक्रम तैयार किया है।
  4. यह परीक्षा साल में एक बार वर्ष के अन्त में होती है। इससे छात्र की दैनिक प्रगति का उचित मूल्यांकन नहीं हो सकता है। दूसरी बात, छात्र वर्ष के अन्त की स्थितियों पर निर्भर रहता है। साल भर मेहनत करने वाला छात्र परीक्षा के दिनों में यदि घरेलू या किसी अन्य समस्या से ग्रस्त है, तो उसका परीक्षाफल प्रभावित हो जाता है।
  5. परीक्षाओं में अधिकांशतः ऐसे प्रश्न आते हैं, जो रटने की शक्ति का आकलन करते हैं, सोचने समझने की शक्ति का नहीं।

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