नयी शिक्षा नीति (1986) एवं प्रौढ़ शिक्षा के प्रति क्या विचार व्यक्त किये हैं?

नयी शिक्षा नीति (1986) एवं प्रौढ़ शिक्षा

नयी शिक्षा नीति (1986) एवं प्रौढ़ शिक्षा के सतत विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विशेष बल दिया गया है। विकास के कार्यक्रमों में भागीदारी बनी रहे. इसलिए आवश्यक है कि साक्षरा का प्रचार-प्रसार अपेक्षाकृत बड़े पैमाने पर किया जाये। इसलिए प्रौढ़ शिक्षा को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ने का सुझाव दिया गया है।

  1. इसके लिए कहा गया है कि साक्षरता के अलावा कार्यात्मक ज्ञान, कुशलता का विकास तथा प्रौढ़ प्रतिभागियों में सामाजिक-आर्थिक समझ पैदा करना होगा। इसके लिए यह आवश्यक है कि ऐसे शिक्षकों, युवा वर्ग, छात्र-छात्राओं, स्वैच्छिक संस्थानों ओर नियोजकों आदि को बड़े पैमाने पर शामिल करना होगा।
  2. ग्रामीण क्षेत्र में सतत शिक्षा केन्द्रों की स्थापना, श्रमिकों को साक्षर बनाना, इस शिक्षा से सम्बन्धित सन्दर्भ साहित्य का सृजन करना।
  3. समूह शिक्षण प्रभावशाली साधनों का प्रयोग करना, जैसे-रेडियो, टी.वी., वीडियों, प्रोजेक्टर आदि का प्रयोग करना आदि।
  4. दूरस्थ शिक्षण (Distant learning) जैसे कार्यक्रम में स्व-अनुदेशन प्रणाली को विकसित करना, जिससे प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रमों को सक्रिय बनाने में सहायता मिल सके।

विवाह के प्रमुख प्रकारों की व्याख्या कीजिए।

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