नयी शिक्षा नीति 10+2+3 की मूल अवधारणा को समझाइये।

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नई शिक्षा सरचना 10+2+3 की मूल अवधारणा

किसी भी देश की शिक्षा संरचना उसके शासनतन्त्र के प्रकार उसकी तत्कालीन परिस्थिति और उसकी भविष्य की आकांक्षाओं पर आधारित होती है। हमारे देश में लोकतन्त्र शासन प्रणाली है, इसमें सभी को एक निश्चित स्तर तक की सामान्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। हमारा लोकतन्त्र समाजवाद में विश्वास करता है इसलिए यह सामान्य शिक्षा सभी के लिए समान होनी चाहिए। हमारे देश में वर्तमान में प्रथम 8 वर्षीय शिक्षा अनिवार्य एवं निःशुल्क है। देश के सामाजिक और आर्थिक विकास और उसके आधुनिकीकरण करने की दृष्टि से यह अपर्याप्त है। दूसरी तरफ हमारे देश की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह अन्य देशों की भाँति प्रथम 12 वर्षीय शिक्षा अनिवार्य एवं निःशुल्क कर सके और उच्च शिक्षा सबको सुलभ करा सके। अतः बहुत सोच-विचार करने के बाद सम्पूर्ण देश में 10+2+3 शिक्षा संरचना लागू की गई। इसकी मूल धारणा को निम्नलिखित रूप में क्रमबद्ध किया जा सकता है

1. किसी भी स्वतन्त्र राष्ट्र में सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय अखण्डता की दृष्टि से एक निश्चित राष्ट्रीय शिक्षा संरचना होनी चाहिए, हमारे देश भारत में भी।

2. किसी भी स्वतन्त्र राष्ट्र में एक निश्चित स्तर तक की शिक्षा समान, अनिवार्य एवं निःशुल्क होनी चाहिए। इस समय हमारे देश में केवल प्रथम 8 वर्षीय शिक्षा अनिवार्य एवं निःशुल्क है जबकि विकसित राष्ट्रों में प्रथम 12 वर्षीय शिक्षा अनिवार्य एवं निःशुल्क है। नई शिक्षा संरचना के अनुसार प्रथम 10 वर्षीय शिक्षा समान अनिवार्य एवं निःशुल्क होनी चाहिए

  • आज सामाजिक जीवन इतना संश्लिष्ट हो गया है कि बच्चों को उसके लिए तैयार करने के लिए प्रथम 8 वर्षीय शिक्षा अपर्याप्त है।
  • आज ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में इतना विकास हो चुका है कि उसका सामान्य ज्ञान इतने अल्प समय और इस आयु वर्ग के बच्चों को नहीं कराया जा सकता है और
  • इससे अधिक समय अर्थात् प्रथम 12 वर्षीय शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क करने की स्थिति में हमारा देश सक्षम नहीं है।

3. किसी भी राष्ट्र का विकास उसके प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन पर निर्भर करता है। अत +2 पर मेधावी छात्रों को विश्वविद्यालयी शिक्षा के लिए तैयार किया जाए और बहुसंख्यक सामान्य छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा दी जाए।

शिक्षा नीति सम्बन्धी सरकारी प्रस्ताव 1913 में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं में सुधार के सम्बन्ध में जो

  • बहुसंख्यक सामान्य छात्रों को अपनी जीविका कमाने के लिए तैयार करने हेतु ।
  • क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ।
  • उच्च शिक्षा में प्रवेश का दबाव कम करने हेतु और
  • उच्च शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने हेतु।

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