Sociology

नक्सलवाद के बदलते स्वरूप/प्रकृति/विशेषता बताइए।

नक्सलवाद के बदलते स्वरूप

नक्सलवाद के बदलते स्वरूप को निम्न परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है-

  1. अपने आरंभिक दौर में नक्सलवाद मूलतः प्रगतिशील सामाजिक आर्थिक चेतना पर आधारित एक वैचारिक आंदोलन था जिसका उद्देश्य सामाजिक आर्थिक विषमता का अंत कर समतावादी समाज की स्थापना करना था।
  2. नक्सलवादी अपने आरंभिक दौर के बाद उग्रवाद में विश्वास करने लगे और स्थानीय लोगों में भय और आतंक पैदा करते हुए अपहरण फिरौती, हफ्ता वसूली आदि के साथ-साथ कर और जुर्माना वसूलना शुरू किया।
  3. अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नक्सलवादी सजग रूप में बिहार से लेकर आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के जनजातीय इलाकों और जनजातीय क्षेत्रों के पहाड़ी इलाकों में अपना ठिकाना बनाया क्योंकि वहाँ तक पुलिस और प्रशासन की पहुँच मुश्किल थी, तो दूसरी ओर विकास प्रक्रिया में हाशिए पर पहुँचा दिए जाने के कारण इन जनजातियों में एक प्रकार का रोष विद्यमान था।
  4. नक्सलवादी आन्दोलन के उभार में भूमि के असमान वितरण के अतिरिक्त न्यूनतम मजदूरी के प्रश्न और जातीय शोषण उत्पीड़न की भी अहम् भूमिका रही।
  5. हाल में स्वयं माओवादियों ने भी स्वीकार किया कि नक्सलवादी आंदोलन का जनाधार सिमट रहा है। कारण यह कि आज नक्सलवादी आंदोलन की पूरी की पूरी ऊर्जा सरकार के खिलाफ संघर्ष में खर्च हो रही है।

संचयी आलेख-पत्रों का महत्व क्या हैं

About the author

pppatel407@gmail.com

Leave a Comment