नागरिकों के सूचना के अधिकार और उसमें आने वाली रुकावटों का वर्णन कीजिये।

नागरिकों के सूचना के अधिकार

अक्सर शासक सूचना के आदान-प्रदान से घबराते हैं, खुलासा नहीं कर पाते और नागरिकों को जानकारी न देने के लिए कई उचित-अनुचित कारण देते हैं। आलोचना का डर या किसी नेता या अफसर को व्याकुलता से बचाने के लिए वे अक्सर जानकारी देने से बचने के लिए उपाय ढूंढते हैं। पर बिना जानकारी के गलत प्रभावों को रोका नहीं जा सकता। दूसरे तौर पर कहा जाए तो खुलासे का डर सरकारी निर्णयों में सुधार ला सकता है।

महत्त्वपूर्ण बात यह देखना भी है कि जो जानकारी सरकार बाँट रही हो क्या वह उपयोगी है? अक्सर महत्वपूर्ण जानकारियों जैसे नीतियों से सम्बन्धित सूचना कम ही बाँटी जाती हैं। दूसरे काफी सारी जानकारी ऐसी कठिन भाषा में होती हैं जिसे समझना आसान नहीं ‘व्यवसायी गोपनीयता’ या ‘कमर्शियल सिक्रेसी’ एक अन्य जटिल विषय है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सरकारी तंत्र से मिलकर आज देश में रोजगार, आय, बचत इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावित कर रही हैं। इस स्थिति में जब बाहर की एजेंसियों आज ऐसे महत्वपूर्ण फैसले ले रही हैं जैसे क्या बोया जाए, क्या उगाया जाए, क्या काम किया जाए तब इन पर नियंत्रण रखना आवश्यक बन जाता है। कमजोर वर्ग जैसे महिलाएँ एवं आदिवासी इत्यादि को ये सब फैसले लेते समय बाहर रखा जाता है जबकि इनका प्रभाव अधिकतर उन पर ही पड़ता है। राष्ट्रीय सुरक्षा भी एक बहाना है जिसका प्रयोग कर सरकार जानकारी देने से बचती चली आई है। पर राष्ट्रीय सुरक्षा क्या है और किस तरह यह जानकारी देने से प्रभावित हो सकती है इसका कभी खुलासा नहीं किया गया। रिकार्ड को ठीक प्रकार न रखना और जानकारी ठीक प्रकार से रखने के लिए प्रणाली न होने के कारण, आजकल बहुत से विकासशील देशों में समस्याएं खड़ी हो रही है।

माध्यमिक विद्यालयों में निर्देशन एवं परामर्श के सम्बन्ध में मुदालियर आयोग के सुझाव।

कम शब्दों में कहा जाए तो जानकारी विकास और लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। विकास में कुछ बाधाएँ हैं जैसे सरकार और आम नागरिकों के बीच दूरी व असमानता, जवाबदेही और उत्तरदायित्व की कमी आम लोगों की भागीदारी में कमी, वह भी उन फैसलों में जो आम जन जीवन को प्रभावित करते हैं। सूचना का अदान-प्रदान इन समस्याओं को हल कर सकता है। यह एक ऐसे निवेश की तरह है जो आगे चलकर देश के विकास में मदद कर सकता है। इसलिए अब समय आ गया है कि सरकारें विरोध छोड़ एक ऐसा वातावरण बनाएँ जहाँ पारदर्शिता और जवाबदेही का बोलबाला हो।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top