मुहम्मद तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा को क्यों लागू किया?

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मुहम्मद तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा – मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल में सांकेतिक (ताँबे और पीतल की) को लागू किया। विद्वानों का विचार है कि उस समय भारत में चाँदी की बहुत ही कमी हो गयी थी। खजाने में धन की कमी और साम्राज्य विस्तार की नीति की वजह से मोहम्मद तुगलक को सांकेतिक मुद्रा चलानी पड़ी। ताँबे और पीतल के सिक्के को चाँदी के रवा के बराबर कर दिया गया। उसने यह आदेश दिया कि सांकेतिक मुद्रा का यह सिक्का 140 ग्रेन के वजन के चाँदी के टंका के बराबर माना जाय यद्यपि यह योजना पूर्णतयः उपयुक्त और कूटनीतिक थी।

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परन्तु क्रियान्वयन के तरीको में व व्यवहारिक रूप में उसने वे सब सावधानियाँ नहीं बरतीं जो ऐसे प्रयोग के लिए आवश्यक थीं। अतः यह योजना असफल हो गयी। मुहम्मद बिन तुगलक की इस योजना का आम जनता ने गलत उपयोग किया और प्रत्येक घर में जाली सिक्के ढलने लगे। बन के अनुसार प्रत्येक हिन्दू का घर टकसाल बन गया था। किसान अपना लगान और कर नकली सिक्कों में चुकाने लगे। लेकिन दुकानदार और किसान अपना माल बेचते समय सांकेतिक मुद्रा लेने से इंकार करने लगे।

अतः बाजार में नकली मुद्रा की बाढ़ सी आ गयी और व्यापार चौपट हो गया। ऐसी परिस्थिति से घबरा कर उसने सांकेतिक मुद्रा प्रचलन को समाप्त करने का आदेश दे दिया। इस प्रकार मुहम्मद तुगलक की सांकेतिक मुद्रा योजना पूर्णरूप से असफल सिद्ध हुई और राजकोष को भारी हानि पहुँची।

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