मृदुल उपागम या साफ्टवेयर उपागम (Software Approach)-
कठोर उपागम में यंत्रों को महत्व दिया जाता है। जबकि मृदुल यंत्रों के स्थान पर सामाजिक एवं मानविकी विषयों के सिद्धान्तों को महत्व देता है। मृदुल उपागम मुख्य रूप से मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित होता है, इसी के द्वारा शैक्षिक परिस्थितियों में छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है। मृदुल उपागम में यंत्रों को महत्व नहीं दिया जाता है। बल्कि यंत्रों के संचालन या कार्यक्रमों के प्रेषण से सम्बन्धित कार्यक्रमों का निर्माण एवं व्यवस्थित सम्पृक्त आदि साफ्टवेयर के अन्तर्गत आते है। कैसेट
मृदुल उपागम विषयवस्तु की सम्पूर्ण प्रक्रियों से सम्बन्धित होता है। इसमें छात्रों के व्यवहार परिवर्तन हेतु शिक्षण विधियों की रचना चुनाव एवं मूल्यांकन हेतु विविध प्रतिनिधियों के परीक्षणों का निर्माण एवं चुनाव तथा शैक्षिक समस्याओं का विश्लेषण किया जाता है। इसी कारण सिल्वरमैन ने इस उपागम को रचनात्मक शैक्षिक उपागम (Constructive Educational Technology) के नाम से अभिहित किया है। इसे अन्य नामों से भी सम्बोधित किया जाता है। यथा- कोमल उपागम, नरम उपागम, यंत्रेतर उपागम, अनुदेशन उपागम इत्यादि ।
मृदुल उपागम के कार्यों को स्पष्ट करते डेविस (1970) ने लिखा है कि- “इस तकनीकी का सम्बन्ध अभिक्रमित अधिगम के आधुनिक सिद्धान्तों से है। इसके कार्यों में मुख्यतः उद्देश्यों “की संक्षिप्त, कार्य का विश्लेषण, अधिगम कौशल का चयन, • पुनर्बलन तथा मूल्यांकन संनिहित होते हैं, इससे स्पष्ट है कि मृदुल उपागम, शिक्षा प्रक्रिया की बहुत सहायता करता है। क्योंकि यह सीधे तौर पर शिक्षण के नियोजन, संचालन, संगठन, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन से सम्बन्धित है।
मृदुल उपागम के अन्तर्गत हार्डवेयर या कठोर उपागम के संचालन हेतु कार्यक्रमों का निर्माण आता है। प्रायः रेडियो, टी. वी. में शैक्षिक प्रसारण हेतु शिक्षा से सम्बन्धित विषय-वस्तु पर कार्यक्रमों का निर्माण तथा उसकी रूपरेखा मृदुल उपागम के अन्तर्गत आयेगा । साफ्टवेयर में यांत्रिक उपकरणों द्वारा प्रसारित शैक्षिक उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप से लिखने एवं लोगों के मानस पटल तक उनको सरल ढंग से पहुँचाने हेतु के चयन, अनुदेशन प्रणाली का इस्तेमाल करने, पृष्ठपोषण प्रदान करने तथा कार्यक्रमों की उपादेयता का मूल्यांकन करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया निहित होती है। जैसे एक शिक्षक का उद्देश्य रेडियो (हार्डवेयर साधन) द्वारा जनमानस में जनसंख्या को सीमित रखने से होने वाले लाभ से परिचित कराना है। तो इसके लिए वह जो कार्यक्रम बनायेगा वह साफ्टवेयर से सम्बन्धित होगा। बिना साफ्टवेयर के हार्डवेयर का संचालन असम्भव है। इसी प्रकार टेलीविजन पर जो भी कार्यक्रम दिखाये जाते हैं वे साफ्टवेयर से सम्बन्धित होते हैं। कार्यक्रमों का निर्माण एक व्यवस्थित प्रक्रिया के अन्तर्गत होता है। इसमें विविध विषयों के व्यहारिक परिस्थितियों को भी ध्यान रखा जाता है। इस प्रकार टी.वी. हार्डवेयर है तो उसके कार्यक्रम साफ्टवेयर हैं।
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