मूल्यों का महत्व अथवा प्रकार्य की व्याख्या कीजिए।

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मूल्यों का महत्व अथवा प्रकार्य को स्पष्ट करते हुए मुखर्जी ने कहा कि किसी भी सामाजिक विज्ञान को मूल्यों से अलग करके नही समझा जा सकता है। मूल्यों के महत्त्व एवं प्रकार्य को निम्न क्षेत्रों में समझा जा सकता है-

(1) सामाजिक व्यवस्था तथा संतुलन में सहायक

सामाजिक जीवन का निर्माण अनेक पक्षों से होता है और इन सभी पक्षों से सम्बन्धित विभिन्न मूल्य इन्हें एक दूसरे से बायें रहते हैं।

(2) व्यवहारों का निर्देशन

मूल्यों की प्रकृति सामूहिक होने के कारण इसमें बाध्यता का – गुण होता है परिणामस्वरूप व्यक्ति उसी तरह का व्यवहार करता है जिस तरह का व्यवहार करने का उसे मूल्यों द्वारा निर्देश प्राप्त होता है।

(3) सामाजिक एकरूपता में सहायक

मूल्यों का महत्त्वपूर्ण कार्य समाज में समूहों के मध्य एकरूपता कायम करना है।

(4) व्यक्ति के मानवीयकरण में सहायक

मूल्यों की सहायता से व्यक्ति के पाशविक प्रवृत्तियों का दमन कर उसका मानवीकरण किया जाता है।

(5) वैयक्तिक अनुकूलन में सहायक

वैयक्तिक दृष्टि से मूल्यों का कार्य व्यक्ति को सामाजिक दशाओं से अनुकूलन करने में सहायता प्रदान करता है।

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(6) सांस्कृतिक स्थायित्त्व में सहायक

संस्कृति के निर्माण में मूल्य सहायक होते हैं। मूल्यों के आधार पर ही व्यक्ति यह सीखता है कि एक विशेष व्यवहार का अर्थ क्या है और सीख द्वारा उसे आगामी पीढ़ी के लिए संरक्षण करता है जिससे संस्कृति को स्थायित्व मिलता है।

(7) व्यक्तित्त्व विकास में सहायक

मूल्य एक तरह व्यक्ति को आत्मिक संतुष्टि प्रदान करता है तो दूसरी तरफ सामाजिक दशाओं एवं संस्थाओं से अनुकूलन करके व्यक्तित्त्व को संतुलित बनाता है। प्रो० मुखर्जी के अनुसार प्रत्येक समाज का अस्तित्त्व उसके मूल्य पर आधारित होता है।

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