प्रस्तावना – ‘मेट्रो’ शब्द का प्रयोग दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए किया जाता है। छोटी एवं लम्बी दूरी तय करने का यह एकदम प्रदूषण रहित माध्यम है। विश्व में अब तक जापान, कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी तथा फ्रांस में मेट्रो रेल परिचालित हैं। मेट्रो रेलवे की सेवाओं को प्रयोग करने वाले भारतीय शहरों में कोलकाता शिखर पर है तथा राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा आरम्भ हो चुकी है।
दिल्ली मेट्रो के आगमन का कारण
दिल्ली भारत के सर्वाधिक आबादी वाले नगरों में से एक है। वर्तमान समय में राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या चालीस लाख के करीब है। वाहनों की यह संख्या देश • के तीन महानगरों-कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई के कुल वाहनों से कही अधिक है। इनमें से नब्बे प्रतिशत निजी वाहन है। राजधानी में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ चालीस किलोमीटर हैं। इस प्रकार दिल्ली महानगर के लगभग बीस प्रतिशत हिस्से पर सड़के फैली हैं। इसके बावजूद भी राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा है। इस रफ्तार को बढ़ाने तथा यातायात की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘मेट्रो रेलवे परियोजना’ लागू की गई है।
दिल्ली मेट्रो की शुभारंभ एवं विकास कार्य
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी से विभिन्न चरणों के आधार पर मेट्रो रेल शुरू करने की योजना बनाई है। इसके पहले चरण में शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू की गई। इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर 2002 को किया। मेट्रो रेल के दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से केन्द्रीय सचिवालय तक सेवा शुरू की गई। तीसरे चरण में राजीव चौक से द्वारिका तक तथा चौथे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 कि.मी.), वाराखम्या रोड से इन्द्रप्रस्थ नोएडा (1.5 किमी.), कीर्ति नगर से द्वारिका (16 किमी.) तक का कार्य पूरा हो चुका है। शीघ्र ही मेट्रो रेल अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी नगर, आनंदविहार (बस अड्डा) तथा गाजियाबाद तक भी पहुँच जाएगी। आज कई स्थानों पर भूमिगत मेट्रो चल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के समय तक पूरी दिल्ली की सड़कों पर मेट्रो रेल चलने लगेगी।
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मेट्रो रेल की विशेषताएँ
मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियन्त्रण प्रणाली से सुसज्जित है। कोच एकदम आधुनिक तकनीक पर आधारित तथा वातानुकूलित हैं। यहाँ पर टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है। यहाँ पर रेल की क्षमता के आधार पर ही टिकट वितरित किए जाते हैं। यदि रेल में जगह नहीं होती तो मशीन टिकट देना स्वयं बन्द कर देती है। स्टेशन में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा भी अत्याधुनिक है। यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं। इसमें विकलांगों के लिए विशेष सुविधा हैं। मेट्रो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है, जिसके लिए मेट्रो स्टेशन से मुख्य सड़क या बस स्टैण्ड तक फीडर बसे भी चलाई जा रही हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सके। इसके लिए किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखा गया है। मेट्रो रेल में यात्रा करने से समय तथा पैसे दोनों की ही बचत होती है। भीड़-भाड़ भरी सड़कों, धुएँ व धूल मिट्टी से बचकर वातानुकूलित रेल में यात्रा करने का आनन्द ही कुछ और है।
मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचालित हैं। इसमें आगमन, प्रस्थान तथा आगे वाले स्टेशनों के विषय में पूरी जानकारी रेल में सवार यात्रियों को सूचना प्रदर्शन पटल तथा सम्बोधन प्रणाली के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है। इसमें यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकते है। मेट्रो रेल में कोई भी यात्री अधिकतम पन्द्रह किलोग्राम वजन ले जा सकता है।
मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशी प्रशिक्षण प्राप्त है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल भी स्थापित किया गया है, जिससे ड्राइवरों तथा परिचालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी दी जाती है।
निष्कर्ष – मेट्रो रेल को प्रारम्भ करने का सबसे अधिक श्रेय हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को जाता है। उनके द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है क्योंकि मेट्रो रेल के चलने से यात्रियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही प्रदूषण की मात्रा में भी काफी गिरावट आई है। अब यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम इसकी सफाई की ओर पूरा ध्यान दे तथा मेट्रो रेल का पूरा लाभ उठाएँ ।