मौर्य वंश का इतिहास जानने के कौन-कौन से स्त्रोत हैं?

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मौर्य वंश का इतिहास जानने के स्त्रोत

मौर्य वंश का इतिहास जानने के अनेक साधन हैं, इन समकालीन एवं परवर्ती खो को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

शिलालेखीय साक्ष्य अथवा स्रोत

1. चौदह वृहद शिलालेख

बड़े-बड़े पाषाण शिलाखण्डों पर उत्कीर्ण ये शिलालेख निम्न स्थानों से प्राप्त हुए है. कालसी (देहरादून, उत्तरांचल), मानसेहरा (पाकिस्तान), शाहबाजगढ़ी (पेशावर पाकिस्तान), गिरनार (गुजरात), सोपारा (बम्बई महाराष्ट्र), धौली और जौगढ़ (उड़ीसा), मस्की और एरंड (आन्ध्र प्रदेश)।

2. लघु शिलालेख

ये शिलालेख निम्न स्थानों पर स्थित है- रूपनाथ (जबलपुर)मध्यप्रदेश), सहसराम (शाहबाद बिहार), बैराट (जयपुर, राजस्थान), गुजर्रा (दतिया, मध्य प्रदेश), मास्की (रायचूर, आन्ध्रप्रदेश), ब्रह्मगिरि (चित्तलदुर्ग कनार्टक), सिद्धपुर ( ब्रह्मगिरि), जटिडंग रामेश्वर (ब्रह्मगिरि), गोविमट (कर्नाटक), पालकिगुण्ड, एर्रगुडि (आन्ध्र प्रदेश), राजुल मंडगिरि (आना) प्रदेश), अहरौरा (उत्तर प्रदेश) दिल्ली, भानू-वैराट (राजस्थान)।

3. स्तम्भ लेख

कुल छः स्तम्भ लेख निम्न स्थानों से प्राप्त हुए हैं

  • (अ) दिल्ली टोपरा स्तम्भ लेख।
  • (ब) दिल्ली-मेरठ स्तम्भ लेख।
  • (स) प्रयाग (इलाहाबाद) स्तम्भ लेख।
  • (द) लौरिया अरराज स्तम्भ लेख ।
  • (य) लौरिया-नन्दनगढ़ स्तम्भ लेख ।
  • (र) रामपुरवा स्तम्भ लेख।

4. लघु स्तम्भ लेख

ये लेख सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी से प्राप्त हुए हैं। इलाहाबाद स्तम्भ पर उत्कीर्ण, ‘रानी अभिलेख भी लघु स्तम्भ लेखों की श्रेणी में ही गिना जाता है।

5. प्रथम कलिंग शिलालेख

विजित कलिंग प्रदेश में अशोक ने घौली (उड़ीसा) और जौगढ़ (आन्ध्र प्रदेश) में दो पृथक शिलालेख उत्कीर्ण करवाए।

6. भावू शिलालेख

यह शिलालेख एक ही शिलाखण्ड पर उत्कीर्ण है, इसमें बौद्ध धर्म के प्रति अशोक की श्रद्धा प्रकट की गई है।

7. गुफा अभिलेख

बिहार में गया के समीप की पहाड़ियों (बारावर) में अशोक के तीन गुफा लेख प्राप्त हुए है। समीपवर्ती नागार्जुनी गुफा में अशोक के पौत्र दशरथ के तीन गुफा लेख प्राप्त हुए हैं।

साहित्यिक साक्ष्य

( 1 ) चाणक्य का अर्थशास्त्र

चाणक्य अथवा विष्णुगुप्त अथवा कौटिल्य चन्द्रगुप्त मौर्य का मुख्यमंत्री और मौर्य वंश का निर्माता था। उसने ‘अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना की। उस ग्रन्थ से मौर्यकालीन भारत की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दशा पर प्रकाश पड़ता है।

(2) पुराण

पुराण में भी मौर्य इतिहास की अनेक महत्वपूर्ण सामग्री भरी पड़ी है। यह अवश्य है कि इसमें जगह-जगह पर अशुद्ध कथन तथा परस्पर विरोधी तथ्य भी हैं, परन्तु इसके बीच में भी अनेक महत्वपूर्ण बातें हैं, जिससे मौर्य काल की सभ्यता एवं संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है। (3) बौद्ध ग्रन्थ- बुद्ध घोष की रचनाएँ महावंश, दीपवंश, दिव्यावदान, अशोका विदानमाला आर्यमंजुश्री मूलकल्प आदि अनेक ग्रन्थों से मौर्यकालीन सम्राटों का बोध होता है। इन ग्रन्थों से अशोक के शासन काल पर विशेष प्रकाश पड़ता है।

(4) विशाखदत्त कृत मुदाराक्षस

गुप्त कालीन इस संस्कृत नाटक में चन्द्रगुप्त द्वारा नन्द वंश के पतन का वर्णन है। चन्द्रगुप्त और कौटिल्य ने पौरवों के साथ मिलकर नन्द वंश के विरुद्ध षड्यन्त्र रचा। नन्दों के पतन के पश्चात् कौटिल्य द्वारा पौरव शासक का भी वध कर दिया गया। नाटक से हमें तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक जीवन का विवरण मिलता है।

विदेशी स्त्रोत

(1) मेगस्थनीज की ‘इण्डिका’– मेगस्थनीज यूनानी सम्राट सेल्यूकस का राजदूत था। वह भारत में लगभग 14 वर्ष तक रहा और भारत की तत्कालीन परिस्थितियों का स्वयं निरीक्षण किया और उसने ‘इण्डिका’ नामक एक ग्रन्थ की रचना की। इस ग्रन्थ से मौर्यकालीन सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दशा पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। ऐसे तो ‘इण्डिका’ अप्राप्य है परन्तु यूनानी लेखकों ने अपनी रचनाओं में ‘इण्डिका’ ग्रन्थ के अनेक उद्धरण दिए हैं जिससे तत्कालीन भारत पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।

पालकालीन मूर्तिकला |

(2) स्ट्रैयों – स्ट्रैबों ने सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त मौर्य के मध्य वैवाहिक सम्बन्ध पर प्रकाश डाला है तथा चन्द्रगुप्त मौर्य की महिला अंगरक्षकों का उल्लेख किया है।

(3) डियोडोरस – इसका भारत विषयक विवरण सबसे प्राचीन यूनानी विवरण है। इसने मेगस्थनीज की ‘इण्डिका? से प्राप्त विवरण के आधार पर भारत के विषय में लिखा है।

(4) प्लानी ज्येष्ठ- इसने अन्य यूनानी स्रोतों तथा व्यापारियों की सूचना के आधार पर भारत का विवरण प्रस्तुत किया है। –

(5) एरियन- इसने सिकन्दर के आक्रमण तथा भारत के सामाजिक जीवन के विषय में लिखा है। इसके ग्रन्थ का मूल ‘निर्वाकस, मेगस्थनीज’ की रचनाएँ हैं।

(6) प्लूटार्क- इसके विवरणों में सिकन्दर के जीवन तथा भारत का सामान्य वर्णन है।

(7) जस्टिन – इसने सिकन्दर के अभियान तथा चन्द्रगुप्त की सत्ता प्राप्ति का विवरण दिया है।

(8) अन्य विदेशी लेखक- फा युएन-चु-लिन, फाहियान हवेनसांग इत्सिंग आदि यात्रियों के विवरण से भी मौर्यकाल के विषय पर यत्र-तत्र प्रकाश पड़ता है।

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