मौर्य कौन थे? संक्षेप में वर्णन कीजिए।

मौर्य कौन थे? – मौर्यो की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। जहाँ ब्राह्मण साहित्य अथवा मौर्यों को शूद्र, यूनानी साक्ष्य सामान्य कुल का तो जैन तथा बौद्ध साक्ष्य उन्हें क्षत्रिय बताते हैं।

विष्णु पुराण की मध्यकालीन टीका तथा 10वीं शताब्दी की इंदिराजरचित मुद्राराक्षस की टीका से यह आशय निकलता है कि चन्द्रगुप्त का जन्म नन्द राजा की पत्नी मुरा से हुआ था। मुरा से उत्पन्न होने के कारण ही चन्द्रगुप्त मौर्य कहलाया नन्दों को शूद्र जाति का माना जाता है, इसलिए मौर्य (चन्द्रगुप्त) भी शूद्र जाति का ही हुआ। इसी प्रकार, मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त के लिए वृषल (शूद्रवंश में उत्पन्न) एवं कुलहीन शब्दों का प्रयोग किया गया है। बृहत्कथामंजरी और कथासरित्सागर में भी चन्द्रगुप्त को निम्नकुल से उत्पन्न व्यक्ति बताया गया है।

कोशल महाजनपद का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिए।

ब्राह्मण-प्रयों के विपरीत बौद्ध साहित्य मौर्य को क्षत्रिय बताते हैं। दिव्यावदान में बिन्दुसार और अशोक को क्षत्रिय कहा गया है। महावंश भी मौर्यो को क्षत्रिय ही बताता है। इस ग्रन्थ के अनुसार चन्द्रगुप्त उस क्षत्रिय वंश का था जो आगे चलकर मौर्य वंश के नाम से विख्यात हुआ। महापरिनिब्बानसुत्त के अनुसार मौर्य या मोरिय पिप्पलिवन के क्षत्रिय शासक थे। जैनग्रन्थ मौर्य को न तो क्षत्रिय बताते हैं और न ही शूद्र ही वे चन्द्रगुप्त को साधारण परिवार में उत्पन्न मानते हैं। परिशिष्टपर्वन के अनुसार, चन्द्रगुप्त जिस गाँव के प्रधान का पुत्र था, वहाँ के लोग मयूर या मोर पालने का व्यवसाय करते थे। इसलिए चन्द्रगुप्त राजा बनने के बाद मौर्य कहलाया। इतिहासकार जस्टिन भी चन्द्रगुप्त को सामान्यकुल में उत्पन्न मानते हैं। उपरोक्त साक्ष्यों के आलोक में हम यह कह सकते हैं कि अन्य साक्ष्यों की अपेक्षा जैन तथा बौद्ध साक्ष्य अधिक तर्कसंगत एवं प्रामाणिक है। अर्थात् मौर्य निम्न अथवा शुद्र वर्णीय नहीं थे बल्कि वे क्षत्रिय ही थे।

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