मौर्य काल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।

मौर्य काल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार – मौर्य काल में चन्द्रगुप्त मौर्य और बिन्दुसार ने ही अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इनके साम्राज्य विस्तार का संक्षिप्त विवरण निम्न है

चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य विस्तार

चन्द्रगुप्त ने अपने सैन्य शक्ति एवं कौशल के बल पर समस्त भारत का एकीकरण किया। सीमान्त विजय ने उसका भाग्यद्वार खोल दिया और वह अचानक एक साहसिक व्यक्ति से नरेश बन बैठा। यूनानी साम्राज्य के ध्वंसावशेष पर मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ी। प्रारम्भिक विजयों के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त का साम्राज्य व्यास नदी से लेकर सिन्धु नदी तक के प्रदेश पर हो गया। इस साम्राज्य के अन्दर कश्मीर भी सम्मिलित था। नन्दवंश के विनाश के पश्चात् समस्त नन्द साम्राज्य उसके अधीन हो गया।

सेल्यूकस पर विजय के फलस्वरूप मध्य एशिया की सीमा तक चन्द्रगुप्त के साम्राज्य का विस्तार हुआ। मुद्राराक्षस के अनुसार, उसका साम्राज्य चतुःसमुद्रपर्यंत था जिस लौहपुरुष ने अजेय सिकन्दर के उत्तराधिकारियों से पश्चिमी भारत को मुक्त किया, जिसने नन्दवंश का नाश किया और सेल्यूकस के दर्प को पददलित किया, उस पुरुष को निश्चय ही दक्षिण-विजय का श्रेय भी दिया जाएगा।

जैन ग्रन्थों के अनुसार सौराष्ट्र के साथ-साथ अवन्ती पर भी चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिकार था। ई.पू. 322 से ई.पू. 298 के बीच चन्द्रगुप्त ने समस्त भारत पर अपना आधिपत्य कायम किया और प्रथम अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। उसकी मृत्यु के समय साम्राज्य का विस्तार पश्चिम में हिन्दुकुश पर्वत से पूरब में बंगाल की खाड़ी तक तथा उत्तर में हिमालय की श्रृंखलाओं से दक्षिण में मैसूर तक था।

बिन्दुसार के साम्राज्य का विस्तार

नर्मदा नदी के दक्षिण में मौर्य साम्राज्य का विस्तार चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया था अथवा उसके पुत्र और उत्तराधिकारी बिन्दुसार ने ? इस प्रश्न पर मतभेद है चन्द्रगुप्त चन्द्रगिरि की पहाड़ी पर राज-काज से निवृत्त होकर वृद्धावस्था में जैन साधु भद्रबाहु के साथ तपस्या करने गया था, इसलिए एक अनुमान यह है यह स्थान चन्द्रगुप्त के साम्राज्य की सीमा में था। तिब्बत लेखक लामा तारानाथ ने जो बौद्ध धर्म का इतिहास लिखा है उसमें बिन्दुसार को दक्षिण का विजेता कहा है। इसके अनुसार चाणक्य ने बिन्दुसार के समय सोलह राज्यों को उखाड़ फेंका और मौर्य साम्राज्य को एक समुद्र तट से दूसरे समुद्र तट तक बढ़ा दिया। इससे दक्षिणी पठार में मौर्य साम्राज्य का प्रसार सिद्ध होता है।

बिन्दुसार के समय कृष्ण स्वामी आयंगर के अनुसार तमिल प्रदेश में मौर्य विजय की जो कथा है उसके अनुसार विन्दुसार की सेनाएँ दक्षिण में चोल और पाण्ड्य राज्य की सीमा तक पहुंची। अशोक ने तो दक्षिण विजय की ही नहीं थी। चाणक्य बिन्दुसार के समय भी महामंत्री था। अतः स्वाभाविक है कि उसने साम्राज्य प्रसार की नीति जारी रखी। पच्चीस वर्ष का शासन निष्क्रिय नहीं रह सकता।

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अशोक का साम्राज्यः

सम्राट अशोक ने केवल कलिंग की ही विजय की थी तत्पश्चात उसने युद्ध का परित्याग कर दिया।

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