ममता कालिया का जीवन परिचय लिखिए।

ममता कालिया एक प्रमुख भारतीय लेखिका हैं। वे कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता और पत्रकारिता अर्थात साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कहानी के परिदृश्य पर उनकी उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। लगभग आधी सदी के काल खण्ड में उन्होंने 200 से अधिक कहानियों की रचना की है। वर्तमान में वे महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका “हिन्दी” की संपादिका हैं।

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ममता का जन्म 02 नवम्बर को वृन्दावन में हुआ। उनकी शिक्षा दिल्ली, मुबई, पुणे, नागपुर और इन्दौर शहरों में हुई। उनके पिता स्व० विद्याभूषण अग्रवाल पहले अध्यापन में और बाद में आकाशवाणी में कार्यरत रहे। वे हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान थे और अपनी बेबाक बयानी के लिए जाने जाते थे। ममता पर पिता के व्यक्तित्व की छाप साफ दिखाई देती है। ‘प्यार शब्द घिसते घिसते चपटा हो गया है अब हमारी समझ में सहवास आता है’ जैसी साहसी कविताओं से लेखन आरंभ कर ममता ने अपनी सामर्थ्य और मौलिकता का परिचय दिया और जल्द ही कथा साहित्य की ओर मुड़ गई।

उन्होंने अपने कथा-साहित्य में हाड़मांस की स्त्री का चेहरा दिखाया। जीवन की जटिलताओं के बीच जी रहे उनके पात्र एक निर्भय और श्रेष्ठतर सुलूक की माँग करते हैं जहाँ आक्रोश और भावुकता की जगह सत्य और संतुलन का आग्रह है। ममता कालिया ने अपने लेखन में रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व उभारा और अपनी रचनाओं में रेखांकित किया कि स्त्री और पुरुष का संघर्ष अलग नहीं, कमतर भी नहीं वरन् समाजशास्त्रीय अर्थों में ज्यादा विकट और महत्तर है।

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