मध्यम वर्ग से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।

स्वतंत्रता के बाद सामाजिक वर्ग में एक नये वर्ग मध्यम वर्ग का तेजी से विकास हुआ और यह वर्ग समाज के सबसे महत्वपूर्ण वर्ग के रूप में उभर कर सामने आया। ‘मध्यम वर्ग से आशय ऐसे वर्ग से है जो उच्च वर्ग की भांति न तो सभी सुविधाओं से सम्पन्न है और न ही निम्न वर्ग की तरह सभी सुविधाओं से वंचित है। दूसरे शब्दों में मध्यम वर्ग न तो बहुत धनी होता है और नही निर्धन।

मध्यम वर्ग का विभाजन-

मध्यम वर्ग को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  • (1) सम्पन्न मध्यम वर्ग
  • (2) सामान्य मध्यम वर्ग ।

(1) सम्पन्न मध्यम वर्ग-

भारतीय संदर्भ में मध्यम वर्ग की विस्तृत विवेचना डांडेकर ने अपनी पुस्तक “The India Middle Class” में की है। यहां मध्यम वर्ग की विशेषताओं को समझने के लिए इसे सम्पन्न मध्यम वर्ग तथा सामान्य मध्यम वर्ग जैसे दो भागों में विभाजित किया जाता है। आर्थिक प्रस्थिति, सांस्कृतिक विशेषताओं तथा व्यवहार के ढंगों के आधार पर भारत की वर्तमान वर्ग संरचना में दूसरा स्थान उच्च-मध्यम वर्ग का है। इसी को हम सम्पन्न मध्यम वर्ग’ अथवा ‘नव मध्यम वर्ग’ भी कहते हैं क्योंकि इस वर्ग के लोगों की आय उनके उपभोग से काफी अधिक होती है। इस वर्ग में डॉक्टर, इंजीनियर, वित्तीय सलाहकार, बड़े-बड़े साहित्यकारों, खिलाड़ियों, कलाकारों, लेखकों जैसे व्यावसायिक वर्गों को सम्मिलित किया जाता है। जो लोग बड़ी भूमिकों के स्वामी होने के कारण बिना कोई श्रम किराए के रूप में अपनी नगरीय सम्पत्ति अथवा गांव में स्थित कृषि फार्मों से किराए की एक बड़ी धनराशि प्राप्त कर लेते हैं, वे भी इसी वर्ग के अन्तर्गत आते हैं। इस वर्ग के अधिकांश लोगों की सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक विशेषताएं एक-दूसरे से काफी समान देखने को मिलती है।

सामाजिक रूप से सम्पन्न मध्यम वर्ग के लोग परम्पराओं में अधिक विश्वास नहीं। करते। पश्चिमी संस्कृति को वे अपना आदर्श मानते हैं। सामाजिक मूल्यों में इनका अधिक विश्वास नहीं होता तथा उच्च शिक्षा के कारण इनके जीवन में तर्क का महत्व अधिक होता है। मनोवैज्ञानिक रूप से इनका आदर्श समाज का उच्च वर्ग होता है। बाह्य रूप से उच्च वर्ग के लोगों के अनुसार व्यवहार करना तथा लगभग उसी तरह का प्रदर्शन करना इनकी विशेषता है। अधिकांश राजनीतिक अभिजन इसी वर्ग से पैदा होते हैं। इस कारण उच्च-मध्यम वर्ग के अनेक व्यक्ति राजनीति को ही अपना कैरियर मान लेते हैं। आर्थिक रूप से यह एक सम्पन्न वर्ग है जिसके उपयोग का एक बड़ा प्रतिशत विलासिता और आराम की वस्तुओं, क्लबों की सदस्यता, मनोरंजन तथा पर्यटन आदि पर व्यय होता है। आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा इस वर्ग की मुख्य विशेषता है। सांस्कृतिकः आधार पर यह वर्ग ऊपर से धनर्मनिरपेक्ष होता है। लेकिन आन्तरिक रूप से इनका जीवन परंपराओं से बंधा रहता है। इनमें शारीरिक श्रम के प्रति बहुत उदासीनता देखने को मिलती है। सामान्यतः इस वर्ग में बच्चों के सामाजीकरण पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जो एक अनुशासित व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है।

(2) सामान्य मध्यम वर्ग-

सामान्य मध्यम वर्ग वह है जिसकी आर्थिक प्रस्थिति बहुत सामान्यतर स्तर की होती है। दूसरे शब्दों में, इस वर्ग के अधिकांश लोक कड़ी मेहनत के द्वारा इतनी आजीविका उपार्जित कर पाते हैं। जिससे उनकी सामान्य जरूरतें पूरी हो सकें। इस वर्ग में हम साधारण दुकानदारों, कार्यालयों में काम करने वाले व्यक्तियों, खुदरा व्यापारियों, तकनीकी रूप से प्रशिक्षित लोगों, धार्मिक क्रियाओं से आजीविका उपार्जित करने वाले लोगों, तथा शिक्षा और प्रबंधन से जुड़े सामान्य स्तर के व्यक्तियों को सम्मिलित करते हैं। भारत में औद्योगीकरण तथा नगरीकरण में वृद्धि होने के साथ नगरीय जनसंख्या में इस वर्ग का प्रतिशत तेजी से बढ़ता जा रहा है। साधारण मध्यम वर्ग की अपनी एक अलग उप-संस्कृति होती है तथा इसी संस्कृति के संदर्भ में व्यक्ति के व्यक्तित्व और व्यवहारों का मूल्यांकन किया जाता है। सामान्य मध्यम वर्ग के लोग अपने परम्परागत मूल्यों, कर्मकाण्डों तथा धार्मिक विश्वासों

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को सरलता से छोड़ना नहीं चाहते। इसके द्वारा एक ऐसी नैतिकता पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है जो यौनिक नियमों, परम्परागत मान्यताओं तथा धार्मिक क्रियाओं पर आधारित होती है। मनोवैज्ञानिक रूप से इनका आदर्श समाज का सम्पन्न मध्यम वर्ग होता है। इसी के समान दृष्टि आकर्षण उपभोग की इच्छा होने के कारण इस वर्ग के काफी लोग ऋण से दबे रहते हैं। अधिकांश लोगों द्वारा नगर की घनी आबादी वाले मुहल्लों में रहने के कारण इनकी मानसिकता आधुनिकता के पक्ष में नहीं होती। सामाजिक रूप से यह समाज का सबसे अधिक जागरुक वर्ग है। नागरिक सुविधाओं के लिए किए जाने वाले प्रदर्शनों में इसी वर्ग के लोग अधिक से अधिक समर्थन पाने का प्रयत्न करते हैं। बच्चों की शिक्षा और समाजीकरण के प्रति यह वर्ग सबसे अधिक चेतन होता है। इस वर्ग में पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए स्त्रियों द्वारा • आजीविका उपार्जित करने की प्रकृति तेजी से बढ़ती जा रही है। मध्यम वर्ग के निचले हिस्से में ऐसे लोग भी काफी संख्या में देखने को मिलते हैं जिनकी आय बहुत कम होने के बाद भी वे अपनी प्रतिष्ठा और सामाजिक सम्मान को बनाए रखने के लिए सम्पन्न मध्यम वर्ग की तरह ही दिखाने का प्रयास करते हैं।

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