मानवाधिकारों का वर्गीकरण कीजिए।

मानवाधिकारों का वर्गीकरण लुइस बी. सोहन मानवाधिकारों को तीन कोटियों में वर्गीकृत किया है

1. प्रथम पीढ़ी के मानवाधिकार

सिविल और राजनैतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा सिविल और राजनैतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में सम्मिलित विभित्र अधिकार नये नहीं है। ये अधिकार परम्परागत हैं और चिरकाल में ग्रीक के नगर राज्य के समय से विकसित हुए हैं और मैग्ना कार्टा, स्वतंत्रता की अमेरिका घोषणा और मानव तथा नागरिक का अधिकार की फ्रांसीसी घोषणा में संघनित (Concretised) हुए हैं। ये अधिकार चिरकालीन स्थापित मूल्यों का परावर्तन (reflect) करते हैं और इसी रूप में वे विभिन्न राज्यों के राष्ट्रीय संविधानों, सिविल और राजनैतिक प्रसंविदा पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, मानव अधिकारों पर यूरोपियन अभिसमयों और अन्तर अमरीकी तथा अफ्रीकी दस्तावेजों में सम्मिलित किए गए है। भारत का संविधान भी भाग 3 में सिविल और राजनैतिक अधिकारों को सम्मिलित करता है।

2. द्वितीय पीढ़ी के मानवाधिकार :

आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में सम्मिलित विभिन्न अधिकारों को द्वितीय पीढ़ी का अधिकार कहा जाता है क्योंकि इनकी उत्पत्ति सिविल और राजनैतिक अधिकारों के बाद में हुई। इन अधिकारों का विकास रिक्ति और राजनैतिक अधिकारों को समर्थ तथा प्रभावशाली बनाने के लिए हुआ है। सिविल अधिकारों का अपने आप में कोई विशेष अर्थ नहीं है जब तक कि व्यक्ति के पास सामाजिक और आर्थिक अधिकार न हो। सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को भारतीय संविधान के भाग में समाविष्ट किया गया है।

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3. तृतीय पीढ़ी के अधिकार

सामूहिक अधिकार लुइस बी. सोहन का कहना है कि व्यक्ति इकाइयों, समूह वा समुदाय जैसे कि “परिवार” धार्मिक समुदाय, सामाजिक क्लव, जातीय समूह, व्यापार संघ, वृत्तिका संगम, जनता, राष्ट्र और राज्य का सदस्य होता है। अतएव यह आर्य की बात नहीं है कि अन्तर्राष्ट्रीय विधि केवल व्यक्तियों के अन्यसंक्राम्य अधिकारों को ही मान्यता नहीं प्रदान करता है, बल्कि व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से प्रयुक्त कतिपय सामूहिक अधिकारों को ही मान्यता नहीं प्रदान करता है जो बड़े समुदायों के रूप में समूह बनाते हैं जिनमें जनता और राष्ट्र अधिकारों की तृतीय कोटि से सम्बन्धित बहुत संजोए गए अधिकार हैं-

  • (1) आत्म निर्णय का अधिकार
  • (2) विकास का अधिकार
  • (3) शांति का अधिकार ये सभी अधिकार अभी अपने निर्माण काल में ही है।

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