मानवाधिकार का महत्व बताइए।

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मानवाधिकार का महत्व

मानवाधिकार का महत्व – मानव अधिकार से मानव कल्याण सदैव होता रहा है और होता रहेगा। लेकिन आज अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय मानवाधिकारों के प्रति सजग हो गया है और मानवाधिकारों से विश्व कल्याण और विश्व शान्ति की आशा और उपेक्षा करता है। मानवाधिकारों का महत्व आज की दुनिया में निर्विवाद है।

मानव अधिकार की जो स्थिति आज है, यह व्यक्तियों के राज्य की महती शक्ति के विरुद्ध सदियों के संघर्ष का परिणाम है। आज यह माना जा रहा है कि निरंकुश राज्यों पर मानवाधिकारों से ही अंकुश लगाया जा सकता है। मानव अधिकार, वास्तव में हमारी प्रकृति जो हमारे दैनिक जीवन को नाना रूपों में प्रभावित करती है, के मूल तत्वों में है।

मानव अधिकार के महत्व का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के पश्चात् जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई तो मानवाधिकार के सम्बर्धन और संरक्षण को इसके अपने प्रमुख उद्देश्यों में रखा अपने आगे आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मूल मानव अधिकारों के प्रति मानव की गरिमा और महत्व के प्रति अपनी निष्ठा की अभिपुष्टि की। मूलवंश, लिंग, भाषा या धर्म के आधार पर विगेंद किए बिना सभी के लिए मानव अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान की अभिवृद्धि और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की कामना की।

परामर्श के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।

मानवाधिकार समय के अनुक्रम में राजनैतिक और नैतिक संकल्पना ही नहीं रहा यह एक विधिक संकल्पना भी है। यह आश्चर्यजनक बात नहीं है, मानवाधिकार अब विकसित होते हुए विधिशास्त्रीय साहित्य की विषयवस्तु बन गए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद अब अधिकांश विद्धानों का मानना है कि मानवाधिकार व्यक्ति को राज्य के विरुद्ध अधिकार प्रदान करते हैं। अन्त में हम यह कह सकते हैं कि मानव अधिकार की संकल्पना इस धारणा पर आधारित है कि एक अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय है जो मानवाधिकारों को मान्यता प्रदान करता है और साथ ही राज्य के विरुद्ध उनमें कार्यान्यन की व्यवस्था भी करता है।

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