माध्यमिक शिक्षा का महत्त्व
छात्र अपने शैक्षिक काल के प्रथम चरण में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करता है उसके उपरान्त वह माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाता है। यह वह स्थान है जहाँ छात्र अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के पथ पर आगे बढ़ता है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात् छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं सिविल का मार्ग चयन करते हैं। यह सब तय माध्यमिक शिक्षा से ही प्रारम्भ होता है। अतः कह सकते हैं कि मानव-जीवन में माध्यमिक शिक्षा का अत्यधिक महत्त्व और आवश्यकता है। अब हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा के महत्त्व और आवश्यकता को विस्तार से स्पष्ट कर सकते हैं
1.माध्यमिक शिक्षा छात्रों के विकास और नागरिकता की शिक्षा
माध्यमिक शिक्षा के समय की अवधि छात्र के विकास की अवस्था अवधि होती है। इसी अवस्था में छात्र का भविष्य तय होता है। अगर इस आयु स्तर पर उनमें राष्ट्र एवं समाज के प्रति कर्तव्य भावना विकसित कर दी जाये तो वे समाज के लिए अच्छे सदस्य एवं राष्ट्र के लिए अच्छे नागरिक सिद्ध होंगे। उद्दण्ड बच्चों को सही मार्गदर्शन देना और उन्हें सही दिशा में अग्रसर करना, माध्यमिक शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जो बालक के भावी भविष्य को निर्धारित करता है।
2. माध्यमिक शिक्षा उच्च शिक्षा की आधारशिला
माध्यमिक शिक्षा उच्च शिक्षा की आधारशिला है, क्योंकि बालक माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् उच्च शिक्षा में प्रवेश ले सकते हैं। अगर उसकी आधारशिला ही सुदृढ़ नहीं होती तो उसका उच्च शिक्षा में प्रवेश लेना ही असम्भव हो जाएगा। इसी प्रकार से उच्च शिक्षा के पश्चात् बालक अनेक अन्वेषणात्मक कार्य करते हैं। यह सब उनके माध्यमिक शिक्षा द्वारा उठाये गये बौद्धिक स्तर का परिणाम है जो कि उनके कठोर परिश्रम के उपरान्त असम्भव होता है। इसलिए माध्यमिक शिक्षा का अत्यन्त महत्त्व एवं आवश्यकता है।
3. माध्यमिक शिक्षा अधिकांश लोगों की पर्ण शिक्षा
माध्यमिक शिक्षा हमारे देश के अधिकांश लोगों की पूर्ण शिक्षा है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा के बाद अधिकांश अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते हैं। उच्च शिक्षा में तो प्रतिभाशाली और आर्थिक दृरि से समृद्ध छात्र एवं छात्राएँ ही दाखिला ले पाते है। इसलिए संसार के प्रत्येक राष्ट्र में माध्यमिक शिक्षा को एक ऐसी पूर्ण इकाई के रूप में विकसित किया जाता है कि इसके द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व का विकास किया जा सके, उनको जीवनयापन के लिए किसी व्यवसाय में कुशल बनाया जा सके और उनको सामान्य नागरिक के रूप में तैयार किया जा सके। तभी स्वस्थ एवं आदर्श समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसलिए माध्यमिक शिक्षा का महत्त्व एवं आवश्यकता अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।
4. माध्यमिक शिक्षा प्रत्येक देश की लोक-
शक्ति के उत्थान का आधार भारत में प्रचलित शिक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत प्राथमिक स्तर पर छात्रों को सामान्य ज्ञान कराया जाता है और सामाजिक व्यवहार में प्रशिक्षित किया जाता है। लेकिन जब छात्र माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर लेता है तो वह पूर्णरूप से मानव बन जाता है, साथ ही उसके सोचने-समझने की शक्ति एवं कार्य करने की क्षमता का विकास होने लगता है। यह विकास राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का हो जाता है। उस राष्ट्र की लोक-शक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि माध्यमिक शिक्षा का अत्यधिक महत्त्व एवं आवश्यकता है।
कृत्य विश्लेषण प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
5. माध्यमिक शिक्षा स्वयं में पूर्ण इकाई वर्तमान भारतीय शिक्षा-
व्यवस्था में माध्यमिक शिक्षा प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा के मध्य की एक कड़ी है। लेकिन यह सत्य है कि विश्व में सभी देशों में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले छात्र एवं छात्राओं की संख्या कम होती है। यही कारण है कि माध्यमिक स्तर की शिक्षा को एक पूर्ण इकाई के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। इसे प्राप्त करके छात्र जीवन के क्षेत्र में कदम रखते हैं, जीविकोपार्जन की तलाश में विभिन्न व्यवसायों में काम करके अपना जीवन निभाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए विकसित देशों में माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रणाली सभी के लिए अनिवार्य है। भारत में भी अभी तो कक्षा एक से आठ तक शिक्षा को अनिवार्य और निःशुल्क करने का लक्ष्य है। लेकिन 10.2.3 शिक्षा संरचना में प्रथम दस वर्षीय शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क लिये जाने का लक्ष्य है जो माध्यमिक शिक्षा के महत्त्व एवं आवश्यकता को दर्शाता है।
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