लुई तेरहवें के शासनकाल – लुई तेरहवें हेनरी चतुर्थ का उत्तराधिकारी उसका नौ वर्षीय पुत्र तुई तेरहवें – (1610-43) था। हेनरी की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात विभिन्न दलों के स्वार्थपूर्ण संघर्ष को रोकने के लिए राजमाता मेरी व मेडिची संरक्षिका नियुक्त की गयी और शासन का समस्तु अधिकार उसके ही हाथों में सौंप दिया गया। यह इटैलियन राजकुमारी थी। इसमें महत्वाकांक्षा तो थी, परन्तु योग्यता का सर्वथा अभाव था अधिकारारूड़ होने के साथ ही इसने मली को पदच्युत किया। अधिकांश इटैलियन ही उसके परामर्शदाता बने। फलतः सभी फ्रांसीसी सरदार इसे अपने अधिकारों का अपहरण समझकर राजमाता से द्वेष करने लगे। उसकी कैथलिक धर्मप्रियता ह्यूगेनो सरदारों की चिढ़ का कारण बन गयी।
संरक्षिका ने तुरंत अपने पति की गृह एवं बाह्य दोनों ही नीतियों का त्याग कर दिया। वह फ्रांस के पुराने शत्रु स्पेन की मित्रता की समर्थक थी। वस्तुतः वह स्पेन की बाह्य शक्ति से प्रभावित थी और इसी कारण देश के घोर विरोध पर भी उसने अपने पुत्र लुई तेरहवें का विवाह (1615) फिलिप तृतीय की पुत्री ‘आस्टिया की एन’ के साथ कर दिया और फ्रेंच राजकुमारी एलिजाबेथ का विवाह रथेन के युवराज के साथ सम्पन्न हुआ। इन विवाहों के कारण देश का विरोध और भी तीव्र हो उठा।
सम्राट चार्ल्स पंचम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उसकी गृहनीति भी देश की शांति के लिए बाधक सिद्ध हुई। सली द्वारा संचित कोष अपव्यय के कारण शीघ्र ही समाप्त हो गया, जिससे देश में पुनः घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। इस बाधा को दूर करने के लिए स्टेट्स जनरल की बैठक (1614) बुलायी गयी, परन्तु परिस्थिति सुलझ न सकी पुजारी और सरदार वर्ग न तो अपने चिर संचित अधिकारों को छोड़ने के लिए और न तृतीय वर्ग के साथ सहयोग करने के लिए ही प्रस्तुत थे। तृतय वर्ग के साथ भी देश के बहुसंख्यक किसनों की सहानुभूति न थी फलतः तीनों ही वर्गों में झगड़े प्रारम्भ हो गये जिससे तीन सप्ताह के भीतर स्टेट्स जनरल का अधिवेश समाप्त कर दिया गया और राजमाता ने नृत्य के लिए कमरों की आवश्यकता दिखलाकर सभा भवन पर ताले चढ़वा दिये। इसके बाद पौने दो सौ वर्षों तक स्टेट्स जनरल की बैठक न हो सकी। अधिवेशन की समाप्ति के पश्चात सरदारों में घोर संघर्ष प्रारम्भ हो गया और देश में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस संघर्ष में ह्यूगेना सरदार अधिक भयावह सिद्ध हुए, क्योंकि उनके पास अपनी सेनायें और सुदृढ़ दुर्ग थे।
इस विषम परिस्थिति में लुई तेरहवें ने राजमाता को हटाकर शासन की बागडोर अपने हाथों में ली। परन्तु संगीत एवं मृगया-प्रेमी राजा में शासन की क्षमता का अभाव था। सौभाग्यवश उसने शासन का सारा उत्तरदायित्व अपने असाधारण प्रतिभा सम्पन्न मंत्री कार्डिनल रीशलू पर छोड़ दिया जिसने इस गुरुतर भार का बड़ी सफलता के साथ निर्वाह किया और अठारह वर्षों (1624-1642 ई.) तक फ्रांस का भाग्य विधाता बना रहा।