लोकाचार से आप क्या समझते हैं?

लोकाचार

जनता की सामान्य रीतियों अर्थात् जनरीतियों में जब कल्याण की भावना मिल जाती है तो वे लोकाचार कहलाने लगते हैं। इस अर्थ में जनरीतियों का आगामी स्तर लोकाचार ही होते हैं। श्री समनर ने लोकाचार या रूढ़ियों का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा है कि लोकाचारों से मेरा तात्पर्य ऐसे लोकप्रिय रिवाजों एवं परम्पराओं से है जिनमें जनता के इस निर्णय का सम्मिलन हो चुका हो कि वे सामाजिक कल्याण में सहायक हैं और जो रिवाज व्यक्ति पर यह जोर डालते हैं कि वह अपना आचरण उनके उनुकूल रखे, यद्यपि कोई शक्ति उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करती।

सर्वश्री मैकाइवर और पेज ने लोकाचार की परिभाषा करते हुए लिखा है कि “जब जनरीतियाँ अपने साथ समूह के कल्याण की भावना व सही व गलत के मापदण्ड मिला लेती हैं तो वे लोकाचारों में बदल जाती है। “

श्री लूम्ले के शब्दों में, “एक जनरीति उसी समय लोकाचारों में से एक हो जाती है, जब उसके साथ कल्याण का तत्व जोड़ दिया जाता है।

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श्री समनर के अनुसार, “जब जनरीतियों में उचित जीवन निर्वाह की एक दार्शनिकता और कल्याण की एक रीति आकर मिल जाती है, तब वे लोकाचार बन जाती है।

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