लोक संस्कृति से आप क्या समझते हैं

लोक संस्कृति

लोक संस्कृति का तात्पर्य हैं किसी एक स्थान पर रहने वाली जातियों के बीच प्रचलित रीति-रिवाज, आदते एवं साधारणतया जनरीतियों को लोक संस्कृति के अंतर्गत समाहित किया जाता है। जनरीति का सम्बन्ध व्यक्ति के प्रति समूह की प्रत्याशाओं से है। इसका तात्पर्य है कि सामाजिक जीवन में समाज हमसे जिन हजारों प्रकार के व्यवहारों की आशा करते हैं वे उस समाज की जनरीतियों (लोक संस्कृति) के रूप में अधिव्यक्त होते हैं यथा प्रत्येक समाज के खान-पान, स्वागत, विदाई, वेश-भूषा, संस्कारों, अनुष्ठानों, शिष्टाचार, सत्कार आदि के क्षेत्र में समाज व्यक्ति से कुछ विशेष प्रकार की आशा करता है। यदि कोई व्यक्ति इन प्रत्याशियों के अनुकूल व्यवहार न करे तो इसके लिए इसको कानूनी दण्ड तो नहीं मिलता, परन्तु उसको मिलने वाला तिस्कार अथवा सामाजिक व्यंग्य कानूनी दण्ड से भी अधिक प्रभाव पूर्ण हो जाता है।

उपभोक्तावाद की उपयोगिता बताइये।

बच्चे को प्रारम्भिक जीवन से ही सामान्य आशाओं के अनुरूप कार्य करना सिखाया जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति बिना किसी प्रकार का तर्क किए हुए जन रीतियों का पालन करता रहता है।

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