लॉक के समझौते की ऐतिहासिकता – समझौता एक ऐतिहासिक तथ्य है या मात्र एक दार्शनिक धारणा इस दृष्टि से देखने पर हमें ज्ञात होता है कि इसे अपने दर्शन का आधार मानने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक सत्य भी मानता है। वह यह कहता है कि यद्यपि इसके ऐतिहासिक होने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन उसके अनुसार यह तथ्य उसकी अनैतिहासिकता सिद्ध नहीं करता है बल्कि यह सिद्ध करता है कि आदिकाल में तथ्यों को लिपिबद्ध करने के साधन उपलब्ध नहीं थे,
इसलिए उसके सम्बन्ध में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। वह रोम, वेनिस और स्पार्टा के उदाहरण देकर समझौते की ऐतिहासिकता को सिद्ध करने का प्रयास करता है और उसकी ऐतिहासिकता को चुनौती देने वालों को उत्तर देते हुए कहता है कि
बोदां की अध्ययन पद्धति एवं रचनाओं का वर्णन कीजिए।
“उन लोगों को जो कहते हैं कि कभी भी कोई मनुष्य प्राकृतिक स्थिति में नहीं थे, मेरा वही उत्तर है कि सभी मनुष्य स्वभावतः उस स्थिति में होते हैं और तब तक उस स्थिति में बने रहते हैं जब तक कि वे स्वयं अपने को अपनी राय से किसी राजनीतिक समाज का सदस्य नहीं बना लेते हैं।