लिखित संविधान
लिखित संविधान से हमारा आशय उस संविधान से है जिसकी अधिकांश धाराएँ कानून के रूप में लेखबद्ध हो गार्नर के शब्दों में, “लिखित संविधान उसे कहते हैं, जिसके आधारभूत उपबन्ध एक या अनेक लेखपत्रों में लिखे हुए होते हैं।” लिखित संविधान किसी एक संवैधानिक कानून के रूप में हो सकता है या अनेक ऐसे कानूनों के रूप में हो सकता है, जिसमें शासनविधि का विशुद्ध प्रतिपादन किया गया हो।
अलिखित संविधान
अलिखित संविधान में परम्परागत प्रथाओं, परम्पराओं तथा समय-समय पर न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णयों का महत्व अधिक होता है। ऐसे संविधानों में सरकार के स्वरूप, शासन के विविध अंग और उनका पारस्परिक सम्बन्ध तथा नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य आदि महत्वपूर्ण बातें प्रथाओं और परम्पराओं पर ही आधारित होती है। गार्नर के शब्दों में, “अलिखित संविधान वह है जिसकी अधिकांश बातें कभी किसी पत्र या लेखापत्रों के संग्रह में लिखी हुए नहीं होती।’