लाई सभा के अध्यक्ष लाई चांसलर पर टिप्पणी लिखिये।

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लाई सभा के अध्यक्ष – लगभग 1400 वर्ष तक लार्ड सदन का अध्यक्ष चांसलर होता था। वह लॉर्ड सदन की उस समिति की भी अध्यक्षता करता था जो सर्वोच्च न्यायालय के रूप में कार्य करती थी। इसके अतिरिक्त वह मंत्रिमण्डल का भी सदस्य होता था, भले ही उसे किसी विभाग का कार्यभार नहीं दिया जाता था। लार्ड चांसलर की नियुक्ति रानी द्वारा प्रधानमन्त्री के परामर्श पर मन्त्रिमण्डल के सदस्य के रूप में की जाती थी।

लॉर्ड सदन की समस्त कार्यवाही लॉर्ड चांसलर द्वारा चलाई जाती थी। सदन में उसके बैठने के लिए एक विशेष सीट होती है जिसे वूलसैक कहा जाता है। वह इसी सीट पर बैठकर सदन की कार्यवाही करता है। लॉर्ड चांसलर की स्थिति कॉमन सदन के अध्यक्ष से पूर्णतया भिन्न थी। उसकी भाँति वह अपने पद पर नियुक्त होने पर निष्पक्ष नहीं बन जाता और न ही सक्रिय राजनीति से अलग होता था ।

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उसे सदन में अनुशासन स्थापित करने के लिए स्पीकर जैसी व्यापक शक्तियाँ प्राप्त नहीं थी और न ही उसे निर्णायक मत प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त लॉर्ड सदन के कार्यवाही सम्बन्धी नियम भी इतने कठोर नहीं है। इन सबके परिणामस्वरूप लॉर्ड चांसलर लॉर्ड सदन का इतना महत्वपूर्ण अध्यक्ष नहीं बन पाया जितना कि कॉमन सभा का स्पीकर है।

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