कुलीन विवाह के नियम बताइए।

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कुलीन विवाह के नियम – कुलीन विवाह वह प्रथा है जिसके अंतर्गत लड़की का विवाह अपनी जाति से नीचे कुल में नहीं, बल्कि बराबर या ऊँचे कुलों में होता है। दूसरे शब्दों में लड़कों को अपने या अपने से नीचे कुलों में विवाह करने की छूट है, परन्तु एक व्यक्ति को अपनी लड़की का विवाह अपने बराबर या अपने से ऊँचे कुलों में करना पड़ता है। यह कुलीन विवाह है। वास्तव में कुलीन विवाह की उत्पत्ति उस समय सम्भव हुई जबकि एक ही जाति में विभिन्न सामाजिक स्थिति, प्रतिष्ठा या मर्यादा वाले समूह बन गए जैसे कि कन्याकुमारी में विस्था के आधार पर विभिन्न मर्यादा समूह हैं। सामाजिक मर्यादा, प्रतिष्ठा भिन्न जातीय श्रेष्ठ राजनीतिक प्रभु क्षेत्रीय प्रभुता आदि के कारण उत्पन्न हो सकती है। उदाहरणार्थ, राजपूताना में राजनीतिक प्रभुता और राजवंश से सम्पर्क के आधार पर ऐसी असमानताओं का जन्म हुआ था। इसी प्रकार अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में कुर्माचली ब्राह्मणों में राजाओं द्वारा सम्मानित परिवार श्रेष्ठ या कुलीन माने जाते रहे हैं। बंगाल के कुलीन परिवार की उत्पत्ति भी इन्हीं आधारों पर हुई है।

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