क्षेत्रीय विविधता पर एक टिप्पणी लिखिए।

0
124

क्षेत्रीय विविधता

भारतीय समाज में धार्मिक एवं सजातीय विविधता के साथ-साथ क्षेत्रीय विविधता के भी दर्शन होते हैं। भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से भारत एक विशाल देश है जिसके कारण देश के प्रत्येक क्षेत्र में समान आधार पर सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना सम्भव नहीं है। देश के पूर्व एवं पश्चिम तथा उत्तर एवं दक्षिण में हजारों किलोमीटर का फासला पाया जाता है। भारत के उत्तर में पहाड़ स्थित हैं तो दक्षिण में समुद्री तट पाया जाता है। भारत के पश्चिम में एक ओर गंगा-यमुना का विशाल उपजाऊ मैदान है तो दूसरी ओर पहाड़ी व जंगली प्रदेश हैं। यहाँ के लोग अत्यन्त कठिन परिश्रम करके जीविकोपार्जन करते हैं। भारत में इतनी अधिक क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं कि कहीं लोग आधुनिक युग का विलासपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो कहीं पर अनेक समूह आज भी आदिमयुगीन अभावमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

समाजशास्त्र एवं इतिहास के मध्य सम्बन्ध तथा अंतर पर प्रकाश डालिए।

देश के कुछ क्षेत्रों में लोग बड़े उद्योग-धन्धों की सहायता से आजीविका प्राप्त कर रहे हैं, तो कहीं पर कृषि एवं पशुपालन से स्पष्ट है कि क्षेत्रीय भिन्नताओं ने समाज में विषमरसता बढ़ाई है। इन क्षेत्रीय विविधता के बावजूद भी सम्पूर्ण देश भौगोलिक दृष्टि से एक इकाई का निर्माण करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here