क्षेत्र पंचायत (पंचायत समिति )– पंचायत समिति अथवा क्षेत्र पंचायत को पंचायती राज व्यवस्था के मध्य (खण्ड) स्तर की संस्था के रूप में गठित किया गया है। ‘उत्तर प्रदेश पंचायत विधि (संशोधन) अधिनियम 1994 ई. ‘ के द्वारा ‘ क्षेत्र समिति’ का नाम बदलकर ‘क्षेत्र पंचायत’ कर दिया गया है। राज्य सरकार के राजपत्र (गजट) में अधिसूचना जारी कर प्रत्येक खण्ड के लिए एक क्षेत्र पंचायत का गठन किया गया है तथा क्षेत्र पंचायत का नाम, खण्ड के नाम पर होता है।
क्षेत्र पंचायत (पंचायत समिति का गठन
क्षेत्र पंचायत में एक प्रमुख का पद होता है तथा अन्य सदस्य होते हैं जिनका गठन निम्नलिखित में से किया जाता है-
- खण्ड की ग्राम पंचायतों के प्रधान।
- कुछ सदस्य क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं। प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या लगभग दो हजार होती है।
- लोकसभा और विधानसभा के ऐसे सदस्य, जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो पूर्णतः अथवा अंशत: उस खण्ड में सम्मिलित हैं।
- राज्यसभा तथा विधान परिषद् के ऐसे सदस्य जो खण्ड के अन्तर्गत निर्वाचकों के रूप में पंजीकृत है।
उपर्युक्त सदस्यों में क्रम संख्या 1, 3 तथा 4 के सदस्यों को प्रमुख अथवा उप-प्रमुख के निर्वाचन तथा उनके विरुद्ध अविश्वास के मामलों में मत देने का अधिकार नहीं होता है।
स्थानों का आरक्षण
प्रत्येक क्षेत्र पंचायत में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए स्थानों के आरक्षण की व्यवस्था जिला पंचायत के अनुरूप ही होती है। क्षेत्र पंचायत में निर्वाचित स्थानों की कुल संख्या के कम से कम एक-तिहाई (33%) स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होते हैं।
कार्यकाल
क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष है। राज्य सरकार इसे 5 वर्ष से पूर्व भी भंग कर सकती है।
क्षेत्र पंचायत के पदाधिकारी
क्षेत्र पंचायत का प्रमुख ‘क्षेत्र प्रमुख’ अथवा ‘ब्लॉक प्रमुख’ कहलाता है। इसका निर्वाचन निर्वाचित सदस्य अपने में से ही करते हैं। ‘क्षेत्र प्रमुख’ के अतिरिक्त ‘ज्येष्ठ उपप्रमुख’ तथा ‘कनिष्ठ उपप्रमुख’ की भी व्यवस्था है। इनका चुनाव क्षेत्र पंचायत के सदस्यों में से ही किया जाता है। इन सभी की कार्यावधि पाँच वर्ष होती है। क्षेत्र प्रमुख क्षेत्र पंचायत की बैठकों का आयोजन एवं उनका सभापतित्व करता है।
क्षेत्र विकास अधिकारी (Block Development Officer or B.D.O.)
इसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। यह क्षेत्र समिति का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी होता है। इसका पद स्थायी होता है। यही क्षेत्र में योजनाएँ कार्यान्वित करता है। इसकी सहायता के लिए अन्य अनेक स्थायी राजकीय कर्मचारी होते हैं।
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क्षेत्र पंचायत त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के बीच की कड़ी है। यह क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन देती है तथा क्षेत्रीय स्तर पर प्रारम्भ की जाने वाली योजनाओं तथा प्रस्तावित कार्यक्रम को क्षेत्र विकास अधिकारी के सहयोग से लागू कराती है
क्षेत्र पंचायत के अधिकार और कार्य
क्षेत्र पंचायत के प्रमुख अधिकार एवं कार्य निम्नलिखित हैं-
- कृषि, भूमि विकास, भूमि सुधार और लघु सिंचाई सम्बन्धी कार्यों को करना।
- पशु-पालन तथा पशु-सेवाओं में वृद्धि करना।
- सार्वजनिक निर्माण सम्बन्धी कार्य करना।
- कुटीर व ग्राम उद्योगों तथा लघु उद्योगों का विकास करना।
- स्वास्थ्य तथा सफाई सम्बन्धी कार्य करना।
- शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सम्बन्धी कार्य करना।
- ग्रामीण आवास की व्यवस्था करना।
- पेयजल, ईंधन और चारे की व्यवस्था करना।
- बाजार तथा मेलों की व्यवस्था करना।