किन्डर स्कूल का वर्णन करें।

किन्डर स्कूल

किन्डर स्कूल – फ्रोबेल महोदय ने सन् 1837 ई. में ब्लैकेनबर्ग में कीलहाऊ के समीप एक स्कूल खोला जिसे किण्डरगार्टेन की संज्ञा दी। इस स्कूल में इस बात पर बल दिया जाता था कि बालकों को स्वतंत्रता तथा सामाजिक वातावरण में खेल द्वारा आत्मक्रिया के अधिक से अधिक अवसर प्रदान किये जाने चाहिये जिससे प्रत्येक बालक अपना आत्मविश्वास अपने आन्तरिक नियमों के अनुसार प्रसन्नतापूर्वक कर सके। यह स्कूल अपनी विशेषताओं के कारण इतनी जल्दी प्रसिद्ध हो गया कि कुछ दिनों में यूरोप के विभिन्न देशों में अनेक किण्डरगार्टेन स्कूल खुल गये ।

किण्डरगार्टेन स्कूल में न तो बालकों को डाँटा-फटकारा जाता है और न ही उन्हें समय-सारिणी के बंधन में जकड़ कर बौद्धिक पाठों को बलपूर्वक रटने के लिए बाध्य किया जाता है। इस स्कूल का प्रांगण, अत्यन्त साफ-सुथरा एवं प्रभावपूर्ण होता है। यही नहीं यथा स्थान पर छोटे-छोटे भाग भी लगे होते हैं। जहाँ बालक स्वतंत्रतापूर्वक घूमते-फिरते हैं तथा प्राकृतिक सौन्दर्य का अवलोकन करते हुए शुद्ध वायु का आनंद लेते हैं। किण्डरगार्टेन विद्यालय की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार है-

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उसके अधिकारों का वर्णन कीजिये।

  1. बालकों के साथ प्रेम तथा सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार,
  2. स्वतंत्रता,
  3. सामाजिकता तथा
  4. खेल के माध्यम से मूल प्रवृत्तियों का आन्तरिक नियमों के अनुसार आत्मक्रिया द्वारा स्वतः विकास।

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