कनिष्क एवं बौद्ध धर्म की महायान शाखा।

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कनिष्क एवं बौद्ध धर्म की महायान शाखा – कनिष्क, पाटलिपुत्र विजय के पश्चात् अश्वघोष एवं मातृचेट जैसे विद्वानों के सम्पर्क में आकर बौद्ध बन गया। कनिष्क ने भी मौर्य शासक अशोक की भाँति महायान सम्प्रदाय को प्रोत्साहन दिया तथा उसके प्रचार-प्रसार हेतु प्रयत्न किए। सी-यु-की नामक चीनी ग्रन्थ से पता लगता है। कि ने कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया। यह सभा पार्श्व की सलाह पर | बुलायी गई। इसका उद्देश्य विभिन्न बौद्ध विद्वानों में प्रचलित मतभेद दूर करना था। इसके अध्यक्ष वसुमित्र एवं उपाध्यक्ष अश्वघोष जैसे बौद्ध विद्वान थे। इस परिषद का मुख्य कार्य बौद्ध धर्म की महायान शाखा को मान्यता देना था। कनिष्क के समय से महायान ही प्रमुख बौद्ध सम्प्रदाय बन गया।

सुमेरियन चित्रकला का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

कनिष्क ने महायान बौद्ध सम्प्रदाय के प्रचार के लिए विदेशों में धर्म प्रचारक भी भेजे। उसके प्रयत्नों के फलस्वरूप ही महायान बौद्धधर्म का प्रचार उत्तरी एशिया, चीन एवं मध्य एशिया में हो सका। कनिष्क ने अनेक बौद्ध विहारों, चैत्यों एवं स्तूपों का भी निर्माण करवाया। उसके समय का सबसे प्रसिद्ध स्तूप पुरुषपुर (पेशावर) में बना। कनिष्क के समय महायान धर्म के प्रचार के चलते बुद्ध की सुन्दर प्रतिमाएँ काफी संख्या में बनने लगी। इनका परिणाम यह हुआ कि अशोक के बाद जो बौद्ध धर्म पतन की तरफ अग्रसर था, वह फिर से भारत का प्रधान धर्म बन गया।

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