प्रस्तावना – “मैं किसी भी देश या क्षेत्र विशेष से बाधित नहीं हूँ। इन सबसे हटकर मैं तो मानव जाति का गौरव बनना चाहती हूँ।” यह कथन भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का था। उनकी लगन, प्रतिभा तथा उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
जन्म परिचय एवं शिक्षा
इस महान विभूति का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 8 जुलाई 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था। उन्होंने टैगोर बाल विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की। अपने शैशवकाल से ही वह एक होनहार छात्रा थी। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में वैमानिकी (ऐअरोनॉटिक्स) में प्रवेश लिया। उस समय इस क्षेत्र में कोई दूसरी छात्रा नहीं थी। विज्ञान में कल्पना की तीव्र रूचि थी, जिसकी प्रशंसा उनके अध्यापक भी करते थे।
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह विदेश भी गई। आपने 1984 अमेरिका में स्थित Texas विश्वविद्यालय से वायु आकाश (Aero-Space) इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् कल्पना ने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
तत्पश्चात् कल्पना ने अमेरिका के एक्स में फ्यूड डायानॉमिक का कार्य प्रारम्भ किया। वहाँ पर सफलता प्राप्त करने के पश्चात् कल्पना ने 1993 में केलिफोर्निया के ‘ओवरसैट मैथडस इन कारपोरेशन’ में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारम्भ किया। 1994 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित कर लिया। लगभग एक वर्ष के प्रशिक्षण के पश्चात् कल्पना को रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी। एस.टी.एस. 87 अमेरिकी की माइक्रोग्रेविटी पेलोड पाइलट थी, जिसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था। अन्तरिक्ष में जाना कल्पना की इच्छा भी थी। चन्द्रमा पर पर्दापण करने की उनकी तीव्र इच्छा थी।
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लगभग पाँच वर्षों के अन्तराल के पश्चात् 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला को अन्तरिक्ष में जाने का पुनः अवसर प्राप्त हुआ। यह शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं विभिन्न कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन हेतु किए गए थे। उस यान में कल्पना के साथ उनके सात साथी थे। कल्पना ने अन्तरिक्ष का कार्यवीरता से पूर्ण किया और वह पृथ्वी पर लौट रही थी। दुर्भाग्यवश, 2 लाख फुट की ऊँचाई पर कोलम्बिया नामक उनका अन्तरिक्ष शटल विस्फोट हो गया। देखते ही देखते कल्पना अतीत वन गई। उनकी मृत्यु के हृदय विदारक संदेश से उनके अध्यापक, स्कूली साथी, परिवारजन, विशेषकर उनके नासा के स्टॉफ मेंबर स्तब्ध रह गए। पूरा विश्व, जैसे शोक के गहरे सागर में डूब गया। कल्पना उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थी, जो अन्तरिक्ष में जाना चाहती हैं।