कलचुरि वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए ।

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कलचुरि वंश के इतिहास को हम उसके लेखों तथा साहित्यिक ग्रन्थों से ज्ञात होता है। इस वंश के प्रमुख लेख इस प्रकार हैं

  1. युवराज की बिलहारी का लेख ।
  2. लक्ष्मणराज द्वितीय का कारीतलाई अभिलेख ।
  3. कोक्कल द्वितीय के मुकुन्दपुर तथा प्यावां के लेख
  4. कर्ण का रीवां (1948-49 ई.) का लेख ।
  5. कर्ण के वाराणसी तथा गोहरवा (प्रयाग) से प्राप्त ताम्रपत्र-अभिलेख ।
  6. यशःकर्ण के खैरा तथा जबलपुर के लेख

समानता के अधिकार की व्याख्या कीजिए।

कुछ लेखों में कलचुरि-चेदि संवत् की तिथि दी गयी है। इनमें कर्ण के लेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जो उसकी उपलब्धियों का विवरण देने के साथ-साथ इस वंश के इतिहास का भी बोध कराते हैं। कलचुरि नरेश युवराज के दरबार में राजशेखर ने कुछ काल तक निवास किया तथा उसने अपने दो प्रन्थों काव्यमीमांसा तथा विशालभंजिका की रचना की थी। इनके अध्ययन से हम तत्कालीन संस्कृति का ज्ञान कर सकते हैं। इन ग्रन्थों में राजशेखर युवराज की मालवा तथा कलिंग की विजय का उल्लेख करते हुये उसे चक्रवर्ती राजा बताता है। हेमचन्द्र के द्वाश्रयकाव्य से कर्ण तथा पाल शासक विग्रहपाल के बीच संघर्ष की सूचना मिलती है विल्हण कृत विक्रमांकदेवचरित से कर्ण तथा चालुक्य नरेश सोमेश्वर प्रथम के सम्बन्धों पर प्रकाश पड़ता है।

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