कैम्बे की सन्धि – रोम की लूट का समाचार पाकर राजा फ्रान्सिस प्रथम बहुत रूष्ट हुआ और उसने एक फ्रान्सीसी सेना इटली भेजी। कुछ ही समय में उसकी सेना ने मिलान को छोड़कर सम्पूर्ण लोम्बार्डी पर अधिकार कर लिया। फ्रान्स की सफलता तथा पोप के प्रति स्पेन और इंग्लैण्ड की भावना को देखकर सम्राट चार्ल्स पंचम ने हरजाना लेकर पोप को रिहा करना।
स्वीकार कर लिया। इसके अतिरिक्त पोप के लिए कुछ शर्तें भी रखी गईं जिसके अनुसार पोप भविष्य में निष्पक्ष तथा तटस्थ रहेगा और राजा हेनरी अष्टम के विवाह विच्छेद के सम्बन्ध में अपनी सम्मति न देगा। इसके पश्चात् सम्राट चार्ल्स पंचम ने उसके पक्ष में करवद बदली तथा उसकी कुशल सेना ने फ्रांस की सेना को पराजित किया।
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किन्तु वह अपनी इस विजय से पूर्ण लाभ न उठा सका क्योंकि वह फ्रांस के विरुद्ध युद्ध स्थगित कर जर्मनी में लूथरवाद के प्रसार को रोकना चाहता था तथा तुर्कों के आक्रमण की आशंका का समाधान करना चाहता था। अस्तु कैम्ब्रे में 1529 ई. में एक सन्धि हुई। इस सन्धि की धाराएं लगभग वही थीं जो पहले ‘मैड्रिड की सन्धि’ की धाराएँ थी। इसमें केवल अन्तर यह था कि राजा फ्रान्सिस प्रथम को वर्गण्डी की डची रखने का अधिकार प्रदान किया गया।