कार्य की स्वतन्त्रता – मिल के अनुसार, स्वतंत्रता के दो पक्ष हैं- आन्तरिक और बाह्य आन्तरिक स्वतंत्रता के अन्तर्गत विचार की स्वतंत्रता को और बाह्य स्वतंत्रता के अन्तर्गत कार्य की स्वतंत्रता को स्थान दिया गया है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। विचारों को कार्य रूप में परिणत करने के लिये कार्य की स्वतंत्रता आवश्यक है। मिल के शब्दों में, “कार्य उतने ही स्वतंत्र होने चाहिये, जितने कि विचार मनुष्यों को अपने विचारों के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिये।”
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मिल ने विचार स्वतंत्रता की भाँति निष्यतिबंधित कार्य स्वतंत्रता का अनुमोदन नहीं किया है। उसने व्यक्ति को कार्य विषयक स्वतंत्रता उसी सीमा तक प्रदान की है, जिस सीमा तक उसक कार्यों का सम्बन्ध केवल उसी से है और वे अन्य व्यक्तियों के कार्यों में किसी प्रकार का विघ्न डालकर उनको हानि नहीं पहुंचाते हैं। मिल का मत है, “व्यक्ति की कार्य-स्वतंत्रता को समिति किया जाना चाहिये। उसे अपने को दूसरे व्यक्तियों के लिये कष्ट का कारण नहीं बनाना चाहिए।”