Medieval History

जेसुइट संघ का महत्व बताइये।

जेसुइट संघ का महत्व – प्रोटेस्टेन्ट धर्म की लोकप्रियता को देखते हुए कैथोलिकों ने भी कैथोलिक धर्म सुधार आन्दोलन प्रारम्भ किए। इसके अन्तर्गत प्राचीन साहित्य, दर्शनशास्त्र, धर्म शास्त्र का अध्ययन कर ज्ञान संचित कर लिया गया। इस प्रकार जेसुइट संघ नामक एक समिति की स्थापना कर ली, जिसके प्रमुख उद्देश्यः कैथोलिक धर्म की सेवा करना, आशा पालन व पोप के प्रति स्वामीभक्ति के व्रत को अपनाना, अपरिग्रह व ब्रहाचर्य के पालन करने के साथ ही कैथेलिक धर्म का प्रचार करने के साथ ही प्रोटेस्टेन्ट धर्म का दमन करना रहा। इस संघ के सिद्धान्त बड़े ही कठोर और रूद्रवादी थे, इसका प्रमुख जनरल कहा जाता था।

संघ के सदस्यों की संख्या 1500 थी। सदस्यों को अपने जनरल व अपने से ऊँचे पदाधिकारी की आज्ञा का अक्षरशः पालन करना अनिवार्य था। जेसुइटों ने प्रोटेस्टेन्ट धर्म के दमन व कैथोलिक धर्म के पुनरूत्थान के लिए सभी संभव प्रयास किए। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसके द्वारा राजनीतिक, छल, बल, षड़यंत्र तथा प्रचार कार्य किए।

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उसके उपदेश, सारगर्भित संक्षिप्त व प्रभावोत्पादक तथा चित्ताकर्षक होते थे। इसके प्रचार और कार्यों का जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ा और कैथोलिकों के धर्म सुधार आन्दोलन को आगे बढ़ाने और प्रोटेस्टेन्ट धर्म के प्रभाव को रोकने में यह संगठन बहुत सहायक सिद्ध हुआ।

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