जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनायें बताइए

जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनायें – रानी चन्द्रलेखा अथवा चन्द्रकांति से उत्पन्न विजयचन्द का पुत्र जयचन्द सन् 1170 ई. में गहड़वाल वंश के सिंहासन पर बैठा। उसने अपने पिता के शासनकाल में तो दान सम्बन्धी सूचनाओं वाले अभिलेख प्रकाशित किये ही, स्वयं अपने राज्यकाल में भी 16 अभिलेख उत्कीर्ण कराये। चन्दबरदाई र पृथ्वीराज रासो विद्यापति कृत पुरुष परीक्षा और मेकलंग की प्रबन्ध चिन्तामणि जैसे साहित्यिक ग्रन्थों में भी उसके उल्लेख प्राप्त होते हैं। सिंहासन पर बैठने के फौरन बाद ही उसने देवगिरी के यादवराज तथा अन्हिलवाड़ के सिद्धराज को पराजित किया। उत्तरी भारत में प्रमुत्व को लेकर चौहान नरेश पृथ्वीराज तृतीय और जयचन्द के बीच गहरी प्रतिस्पर्द्धा और शत्रुता चल रही थी। अपनी पुत्री संयोगिता के स्वयंवर के अवसर पर उसने पृथ्वीराज को आमन्त्रित नहीं किया। किन्तु पृथ्वीराज ने छद्म वेश में आकर स्वयंवर के दौरान संयोगिता का अपहरण कर लिया। इसका प्रतिशोध लेने के लिए जयचन्द ने तुर्कों का साथ दिया और पृथ्वीराज का पतन हो गया। किन्तु 1194 ई. में मुहम्मद गौरी ने उसके राज्य पर भी आक्रमण किया और चन्दावर के युद्ध में जयचन्द मारा गया।

समाजीकरण के प्रमुख उद्देश्य कौन-कौन से हैं?

जयचन्द एक पराक्रमी शासक था। फरिश्ता के अनुसार जयचन्द की सेना में सैनिकों की संख्या बालू के कणों के समान असंख्य थी। जयचन्द एक शक्तिशाली और महान शासक था लेकिन पृथ्वीराज से शत्रुता के कारण उसने मुहम्मद गौरी का साथ दिया जिसने पहले पृथ्वीराज और बाद में इसका भी राज्य विजित कर लिया गया।

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