जनरीतियों और लोकाचारों का सामाजिक महत्व
जनरीतियों और लोकाचारों का जन्म समाज में ही होता है, अतः इनका सामाजिक महत्व भी उल्लेखनीय होता है, जैसे
1.सामाजिक एक रूपता के आधार
लोकाचार और जनरीतियों सामाजिक एकरूपता का आधार भी है क्योंकि ये व्यवहारों में एकरूपता लाती है जब लोकाचार और जनरीतियाँ व्यक्तियों पर अपना दबाव डालती है और जब अधिकतर व्यक्ति उसी के अनुसार कार्य करते हैं तो स्वभावत: ही समाज के व्यवहारों में एकरूपता आ जाती है और इसी के आधार पर समाज के सदस्य एक-दूसरे के निकट भी आते हैं।
2. सामाजिक परिवर्तन के कारण
लोकाचार और जनरीतिय सामाजिक परिवर्तन का कारण भी बन सकती है। चूंकि इनकी प्रकृति रूढ़िवादी होती है अतः ये बदलती हुई दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने में असफल होती है और इसीलिए समाज की प्रगति में बाधक बन जाती है। इसी कारण नवीन आवश्यकताओं के अनुसार इन्हें तोड़ने का प्रयत्न किया जाता है और इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन सम्भव होता है।
3. मानव-व्यवहारों के नियन्त्रक
जनरीतियाँ और लोकाचार मानवीय व्यवहारों को निश्चित और नियन्त्रित करते हैं। वास्तव में जीवन के अनेक व्यवहार इनके द्वारा निश्चित होते है; जैसे – विवाह होने पर बारात आएगी, बाजे बजेगें, आदि। इसी प्रकार ये किन्हीं कार्यों को करने की आज्ञा देते हैं और किन्हीं को मना करते हैं। लोकाचारों की अवहेलना करने का तो कोई व्यक्ति जलदी साहस नहीं कर सकता।
सहयोग से लाभ और उसका समाजशास्त्रीय महत्व बताइए।
4. सामाजिक एकता के अभिभावक
लोकाचार तथा जनरीतियाँ सामाजिक एकता की संरक्षक तथा सहायक भी होती है। चूँकि एक ही समूह में एक ही प्रकार के लोकाचार और जनरीतियाँ होती है और अधिकतर लोग इन्हें मानते हैं अतः उनके मानने वालों में समानता और एकता की भावना स्वयं ही पनपने लगती हैं। स्पष्ट है कि लोकाचार और जनरीतियाँ सामाजिक एकता को स्थिर रखने में काफी सहायक हैं।
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