जजमानी व्यवस्था क्या है?

जजमानी व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक जातीय समूह के अपने परम्परागत पेशे होते हैं। इन पेशों के सम्बन्ध में सेवाओं के द्वारा ही विभिन्न जातियाँ पारस्परिक सम्बन्धों को स्थापित करती हैं। इसी आधार पर विभिन्न जातियों के पारस्परिक सम्बन्धों की एक अभिव्यक्ति ‘जजमानी’ व्यवस्था है। श्री ऑस्कर लेविस के अनुसार “इस व्यवस्था के अन्तर्गत एक गाँव के प्रत्येक जाति समूह से यह आशा की जाती है कि वह दूसरी जातियों के परिवारों को कुछ निश्चित सेवाएँ अर्पित करें।

समाज दर्शन और समाजशास्त्र पर टिप्पणी लिखिए।

” स्पष्ट है कि इस व्यवस्था के अन्तर्गत परस्पर सम्बन्धों की जो एक सेवा व्यवस्था पनपती है उसके दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष वह जो सेवाएँ प्राप्त करता है और दूसरा वह जो कि सेवाएँ अर्पित करता है। प्रथम पक्ष के लोगों को ‘जजमान’ तथा द्वितीय पक्ष के लोगों को प्रजा परजन व कमीन कहते हैं।

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