जाति का राजनैतिक अवतार – जाति एक बन्द वर्ग है। वह जाति की प्रथाओं के अनुरूप कार्य करती है। जाति के सदस्यों के रहन-सहन, खान-पान, विवाह एवं अन्य सामाजिक कार्यों पर अनेक प्रतिबन्ध लगाएँ जाते हैं। इस प्रकार जाति का एक समूह बन जाता है। इस समूह का एक मुखिया होता है जिसके आज्ञा से समस्त कार्यों का सम्पादन होता है। जाति में पंचायत एक राजनैतिक संस्था का कार्य करती है। इसीलिए डॉ० सक्सेना ने जाति को एक राजनीतिक इकाई माना है। उनका कहना है कि प्रत्येक जाति व्यवहारिक आदर्श के नियम प्रतिपादित करती है और अपने सदस्यों पर उनको लागू करती है। जाति पंचायत, उनके कार्य और संगठन जाति के राजनीतिक पक्ष के हो परिचायक है। अतः यह कहा जा सकता है कि जाति का राजनैतिक अवतार हो चुका है।