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इस्टइण्डिया कम्पनी कैसे भारतीय में शामिल हुई।

इस्टइण्डिया कम्पनी कैसे भारतीय राजव्यवस्था – वास्को-डी-गामा के द्वारा सन् 1498 में भारत पहुंचने के जलमार्ग की खोज करने के फलस्वरूप सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने भारत से व्यापार करना प्रारम्भ कर दिया तथा खूब लाभ अर्जित किया। पुर्तगालियों के लाभ से प्रलोभित होकर यूरोप के अन्य देशों ने भी भारत के साथ व्यापार आरम्भ कर दिया। व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता में अंग्रेजों ने पुर्तगालियों, डचों तथा फ्रांसीसियों आदि को परास्त करके भारत में अपना एकछत्र साम्राज्य स्थापित किया।

“गोविन्द चन्द्र गहड़वाल वंश का सर्वाधिक योग्य शासक था।” व्याख्या कीजिए।

ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा स्थापित ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी लगभग सन् 1600 में व्यापार करने के लिए भारत में आई थीं। लगभग डेढ़ शताब्दी तक कम्पनी अपने अस्तित्व के लिए अन्य यूरोपीय व्यापारिक संस्थाओं तथा भारतीय राजाओं के साथ झगड़ों में उलझी एक विशुद्ध व्यापारिक संस्था थी। परन्तु सन् 1757 में प्लासी के युद्ध में क्लाइव की विजय से बंगाल का शासन अंग्रेजों के हाथ में आ गया तथा इसके बाद धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारतवर्ष पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अधिकार

हो गया। 1857 में ब्रिटिश शासन ने भारत का शासन प्रबन्ध अपने अधिकार में ले लिया। तब से लेकर 15 अगस्त सन् 1947 तक ब्रिटिश संसद अपने प्रतिनिधि के माध्यम से भारत पर शासन करती रही। ब्रिटिश शासन के दौरान अनेक राजनैतिक तथा आर्थिक कारणों से भारतीय शिक्षा में अनेक युगान्तर परिवर्तन आये।

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