सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना ।

सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना – सैन्धव सभ्यता के उत्खनन में मुद्राभिलेखों में शिवोपासना के प्रमाण मिले हैं। लेकिन ये लोग शिव की उपासना पशुपति के रूप में करते थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुद्रा में त्रिमुखी पुरूष को एक सिंहासन पर योगमुद्रा में लगभग नग्न अवस्था में बैठे हुए दिखया गया है। इस देवता के ऊपर सात अक्षरों का एक अभिलेख है। जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। जॉन मार्शल ने इसे आधुनिक काल के शिव का ‘पशवम्भक रूप’ कहा है। अधिकांश विद्वान जॉन मार्शल के मत से सहमत है। हड़प्पा के उत्खनन से भी दो मुहरें मिली है जो भारत में प्राचीन काल से प्रचलित थीं।

प्राचीन काल से ही देवताओं में मुख्यतः पशुपतिनाथ शिव को योगी के रूप में दर्शाया जाता रहा है। उन्हीं को तपस्वी, महायोगी, योगीश्वर आदि नामों से जाना जाता रहा है। अतः सैन्धव काल में शिव अथवा पशुपति की पूजा एक प्रमुख देवता के रूप में की जाती थी।

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